Basant Panchami SMS Collection for Facebook, Whatsapp, Pinterest, Instagram & Other Social Sites.
May Goddess Saraswati Bless You With The Ocean Of Knowledge Which Never Ends
May You Be Bestowed With Knowledge And Wisdom. Have A Blessed Vasant Panchami!
As the chill in the weather vanishes with the arrival of Spring; I wish all your sorrows also evaporate. Happy Basant Panchami.
Let’s pray the goddess of knowledge and wisdom on the auspicious occasion of Basant Panchami. May the goddess stop showering her blessings on us!
On the auspicious occasion of saraswati puja, i wish you always stay blessed with prosperity and success in your life.
With fragrant flowers and fluttering butterflies around, soft breeze whispers in your ear – Happy Basant Panchami!
May Goddess Saraswati Bless You With The Ocean Of Knowledge Which Never Ends. Happy Basant Panchami.
May the vibrance of colour yellow fill your life with love and light this Basant Panchami.
May your mind be always filled with good thoughts and positivity. Happy Basant Panchami.
There is cheerfulness in the air and sweetness in the song of birds as Spring comes near. Happy Basant Panchami.
Happy Basant Panchami Shayari
हैप्पी बसंत पंचमी शायरी
पीले पीले सरसों के फूल, पीली उड़े पतंग
रंग बरसे पीला और छाये सरसों सी उमंग
आपके जीवन में रहे सदा बसंत के रंग
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
हैप्पी बसंत पंचमी
वीणा लेकर हाथ मे,
सरस्वती हो आपके साथ मे,
मिले माँ का आशीर्वाद हर दिन,
मुबारक़ हो आपको सरस्वती पूजा का ये दिन।
सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी की शुभ कामनायें!
सरस्वती पूजा का यह प्यारा त्यौहार
जीवन में खुशी लाएगा अपार
सरस्वती विराजे आपके द्वार
शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
जीवन का यह बसंत, आप सबको खुशियां दे अनंत
प्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंग
बसंत पंचमी की बधाई
लेके मौसम की बहार
आया बसंत ऋतू का त्यौहर
आओ हम सब मिलके मनाएं
दिल में भरकर उमंग और प्यार
बसंत पंचमी की बधाई
बहारो में बहार बसंत
मीठा मौसम मीठी उमंग
रंग बिरंगी उड़ती आकाश में पतंग
तुम साथ हो तो है इस ज़िंदगी का और ही रंग
हैप्पी बसंत पंचमी
साहस शील ह्रदय में भर दे
जीवन त्याग तपोमर कर दे
संयम सत्य स्नेह का वर दे
हे वीणा वादिनी, ऐसा आशीर्वाद तू सबके सिर दे
बसंत पंचमी की बधाई
हल्के-हल्के से हो बादल
खुला-खुला सा हो आकाश
मिल कर उड़ाएं पतंग अमन की
आओ फैलाएं खुशियों का पैगाम
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
सूरज हर शाम को ढल ही जाता है
पतझड बसंत में बदल ही जाता हे
मेरे मन मुसीबत में हिम्मत मत हारना
समय कैसा भी गुजर ही जाता है
कमल पुष्प पर आसीत माँ
देती ज्ञान का सागर माँ
कहती कीचड़ में भी कमल बनो
अपने कर्मो से महान बनो
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
मां सरस्वती का वरदान हो आपको
हर दिन नई मिले ख़ुशी आपको
दुआ हमारी है खुदा से ऐ दोस्त
जिन्दगी में सफलता हमेशा मिले आपको
सरस्वती पूजा का यह प्यारा त्यौहार
जीवन में खुशी लाएगा अपार
सरस्वती विराजे आपके द्वार
शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
फूलों की वर्षा
शरद की फुहार
सूरज की किरणे
खुशियों की बहार
चन्दन की खुशबु
अपनों का प्यार
मुबारक हो आप सबको
बसंत पंचमी का त्योहार
हैप्पी बसंत पंचमी
किताबों का साथ हो, पेन पर हाथ हो
कॉपिया आपके पास हो, पढाई दिन रात हो
ज़िंदगी के हर इम्तिहान में आप पास हो
हैप्पी बसंत पंचमी
उड़े पतंग आसमान में सबकी निराली
पीली, लाल, हरी, नीली और काली
आओ मिलकर हम सब वसंत मनाएं
द्वार पर अपने रंगीली रंगोली सजाएं
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
हल्के-हल्के से हो बादल
खुला-खुला सा हो आकाश
मिल कर उड़ाएं पतंग अमन की
आओ फैलाएं खुशियों का पैगाम
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
Contributor: Smita Haldankar
Basant Panchami Poems In Hindi
बसंत पंचमी पर कवितायेँ
देखो -देखो बसंत ऋतु है आयी
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई
घर-घर में हैं हरियाली छाई
हरियाली बसंत ऋतु में आती है
गर्मी में हरियाली चली जाती है
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है
यही चक्र चलता रहता है
नहीं किसी को नुकसान होता है
देखो बसंत ऋतु है आयी
आ गया बसंत है, छा गया बसंत है
खेल रही गौरैया सरसों की बाल से
मधुमाती गन्ध उठी अमवा की डाल से
अमृतरस घोल रही झुरमुट से बोल रही
बोल रही कोयलिया
आ गया बसंत है, छा गया बसंत है
नया-नया रंग लिए आ गया मधुमास है
आंखों से दूर है जो वह दिल के पास है
फिर से जमुना तट पर कुंज में पनघट पर
खेल रहा छलिया
आ गया बसंत है छा गया बसंत है
मस्ती का रंग भरा मौज भरा मौसम है
फूलों की दुनिया है गीतों का आलम है
आंखों में प्यार भरे स्नेहिल उदगार लिए
राधा की मचल रही पायलिया
आ गया बसन्त है छा गया बसंन्त है
कंचन पाण्डेय
नया-नया रंग लिए आ गया मधुमास है
आंखों से दूर है जो वह दिल के पास है
फिर से जमुना तट पर कुंज में पनघट पर
खेल रहा छलिया
मस्ती का रंग भरा मौज भरा मौसम है
फूलों की दुनिया है गीतों का आलम है
आंखों में प्यार भरे स्नेहिल उदगार लिए
राधा की मचल रही पायलिया
ले के ख़ुदा का नूर वो आना वसंत का
गुलशन के हर कोने पे वो छाना वसंत का
दो माह के इस वक्त में रंग जाए है कुदरत
सबसे अधिक मौसम है सुहाना वसंत का।
मेला बसंत-पंचमी का गाँव-गाँव में
और गोरियों का सजना-सजाना वसंत का
वो रंग का हुड़दंग वो जलते हुए अलाव
आता है याद फाग सुनाना वसंत का
होली का जब त्यौहार आये मस्तियों भरा
मिल जाए आशिकों को बहाना वसंत का
कोई हसीन शय ख़लिश रहे न हमेशा
अफ़सोस, आ के फिर चले जाना वसंत का।
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
दूर खेत मुसकरा रहे हरे-हरे
डोलती बयार नव-सुगंध को धरे
गा रहे विहग नवीन भावना भरे
प्राण! आज तो विशुद्ध भाव प्यार का
हृदय समा गया
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
खिल गया अनेक फूल-पात से चमन
झूम-झूम मौन गीत गा रहा गगन
यह लजा रही उषा कि पर्व है मिलन
आ गया समय बहार का, विहार का
नया नया नया
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
डोलती बयार नव-सुगंध को धरे
गा रहे विहग नवीन भावना भरे
प्राण! आज तो विशुद्ध भाव प्यार का
हृदय समा गया
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
झूम-झूम मौन गीत गा रहा गगन
यह लजा रही उषा कि पर्व है मिलन
आ गया समय बहार का, विहार का
नया नया नया
अंग-अंग में उमंग आज तो पिया
बसंत आ गया
अलौकिक आनंद अनोखी छटा
अब बसंत ऋतु आई है
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती
पुरवा पंख डोलाई है
महक उड़ी है चहके चिड़िया
भंवरे मतवाले मंडरा रहे हैं
सोलह सिंगार से क्यारी सजी है
रस पीने को आ रहे हैं
लगता है इस चमन बाग में
फिर से चांदी उग आई है
अलौकिक आनंद अनोखी छटा
अब बसंत ऋतु आई है
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती
पुरवा पंख डोलाई है
शम्भू नाथ
भंवरे मतवाले मंडरा रहे हैं
सोलह सिंगार से क्यारी सजी है
रस पीने को आ रहे हैं
फिर से चांदी उग आई है
अलौकिक आनंद अनोखी छटा
अब बसंत ऋतु आई है
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती
पुरवा पंख डोलाई है
उड़-उड़कर अम्बर से
जब धरती पर आता है
देख के कंचन बाग को
अब भ्रमरा मुस्काता है
फूलों की सुगंधित।
कलियों पर जा के
प्रेम का गीत सुनाता है
अपने दिल की बात कहने में
बिलकुल नहीं लजाता है
कभी-कभी कलियों में छुपकर
संग में सो रात बिताता है
गेंदा गमके महक बिखेरे
उपवन को आभास दिलाए
बहे बयारिया मधुरम्-मधुरम्
प्यारी कोयल गीत जो गाए
ऐसी बेला में उत्सव होता जब
वाग देवी भी तान लगाए
आयो बसंत बदल गई ऋतुएं
हंस यौवन श्रृंगार सजाए
शम्भू नाथ
कलियों पर जा के
प्रेम का गीत सुनाता है
बिलकुल नहीं लजाता है
कभी-कभी कलियों में छुपकर
संग में सो रात बिताता है
उपवन को आभास दिलाए
बहे बयारिया मधुरम्-मधुरम्
प्यारी कोयल गीत जो गाए
ऐसी बेला में उत्सव होता जब
वाग देवी भी तान लगाए
हंस यौवन श्रृंगार सजाए
स्वप्न से किसने जगाया?
मैं सुरभि हूं
छोड़ कोमल फूल का घर
ढूंढती हूं कुंज निर्झर.
पूछती हूं नभ धरा से
क्या नहीं ऋतुराज आया?
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
मै अग-जग का प्यारा वसंत
मेरी पगध्वनि सुन जग जागा
कण-कण ने छवि मधुरस माँगा
नव जीवन का संगीत बहा
पुलकों से भर आया दिगंत
मेरी स्वप्नों की निधि अनंत
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
महादेवी वर्मा
ढूंढती हूं कुंज निर्झर.
पूछती हूं नभ धरा से
क्या नहीं ऋतुराज आया?
मै अग-जग का प्यारा वसंत
कण-कण ने छवि मधुरस माँगा
पुलकों से भर आया दिगंत
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
सीधी है भाषा
वसंत की
कभी आंख ने समझी
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी
दिगंत की
नीले आकाश में
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली
अनंत की
त्रिलोचन
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी
दिगंत की
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली
अनंत की