Krishna Janmashtami Hindi Kavita

Krishna Janmashtami Hindi Kavita

बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे
गर दिल कभी लगे भटकने अम्बरीष अवनि छायेंगे|
गोकुल कदम्ब की डाली छवि दर्पण साज सजायेंगे
बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे ||

तान निराली वंशी धुन में मुरलीधर राग सुनायेंगे
दूध मलाई माखन मिसरी कंहैया जी भोग लगायेंगे |
द्रोपदी की लाज बचाने कृष्ण कन्हैया जी आयेंगे
बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे ||

सुदामा से प्रेम निभाने नन्द जी के धर पर आयेंगे
अर्जुन का सारथी बनकर मित्रता संकल्प दिखाएँगे|
आलस्य त्याग का पाठ पढ़ाने जन्मास्टमी आयेगी
बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे | |
– सुख मंगल सिंह

2) जब तुम्हारा जन्म हुआ,
बिजली ने कड़क कर रोशनी दिखाई ।
बादलों ने बरस कर फूल बरसाए,
बोलो हर हर मुरारी ।।

आंधियों में भी किया स्वागत तुम्हारा,
तूफानों ने रुख मोड़ लिया ।
बादलों ने अलग धुन बजाई,
तब जन्म हुआ तुम्हारा
बोलो हर हर मुरारी ।।

धरती पर जब तुमने नया अवतार लिया,
सब ताले टूट गए ।
जब जन्म हुआ तुम्हारा,
बोलो हर हर मुरारी ।।

मां देवकी की कोख का अभिमान हो तुम,
मां यशोदा की जान हो तुम ।
ब्रज की शान हो तुम,
नाम अनेक लेकिन एक हो तुम ।।

मजधार में फंसे नाविक की पतवार हो तुम,
कंस को मारने वाले वीर हो तुम ।
कालिया नाग को धूल चटाने वाले,
हे कृष्ण मुरारी, जय जयकार हो तुम्हारी ।।

बोलो हर हर मुरारी
– नरेंद्र वर्मा

3) बाल घुंघराले तुम्हारे,
सर पर ताज निराला ।
मनमोहक मुस्कान तुम्हारी,
ओ कृष्ण मुरारी ।।

नटखट तुम, नखराले तुम,
न्याय प्रिय तुम, वरदानी तुम ।
भटके हुए को राह दिखाने वाले,
ओ मेरे प्यारे कृष्ण मुरारी ।।

जब बजाते हो तुम बंसी,
तब झूम उठता है धरा का हर एक वासी ।
तुम नटखट हो लेकिन प्यार का समंदर हो,
ओ मेरे प्यारे कृष्ण मुरारी ।।

जीवन की डोर तुम्हारे हाथों में,
पल भर में बनाते हो रंक से राजा ।
खुशियों की बौछार हो तुम,
ओ मेरे प्यारे कृष्ण मुरारी ।।

सबसे बड़े दानी हो तुम,
तीनो लोक के राजा हो तुम ।
सबसे बड़े ज्ञानी हो तुम,
ओ मेरे प्यारे कृष्ण मुरारी ।।

– नरेंद्र वर्मा

4) बहती है राग की रसधारा ।
जग झूम उठता है,
ओ मेरे बाल गोपाला ।।

सांवला है रूप तुम्हारा,
देखो तो नजर नहीं हटती ।
बस आंखों के आगे हर दम तस्वीर तुम्हारी,
ओ मेरे बाल गोपाला ।।

माखन चुराने की कला निराली,
मुकुट पर मोर पंख निराला ।
तू सब का है दुलारा,
ओ मेरे बाल गोपाला ।।

धन्य है देवकी मां जिसने तुम्हें जन्म दिया है,
धन्य है यशोदा मां जिसने तुम्हें पाला ।
अजब लीला है तुम्हारी,
ओ मेरे बाल गोपाला ।।

कण-कण में तुम बसे हो,
सबके दिल की धड़कन हो तुम ।
आंखों का तारा हो तुम,
ओ मेरे बाल गोपाला ।।
– नरेंद्र वर्मा

5) ब्रज का है तू वासी,
मनमोहन नाम तुम्हारा ।
मां यशोदा का दुलारा,
हम सबको प्यारा कृष्णा हमारा ।।

माखन चोर तू कहलाता है,
नटखट अदाओं से सबका दिल जीत लेता ।
बांसुरी बजा सबका मन मोह लेता,
हम सबका प्यारा कृष्णा हमारा ।।

आंखे तेरी समुंदर से भी गहरी,
तेरी मूर्त सबको प्यारी ।
तीनो लोक का राजा कहलाता,
हम सबका प्यारा कृष्णा हमारा ।।

तेरी सांवली सूरत सबको भाती,
एक नजर में दिल में बस जाता ।
तेरी मुस्कान सबका मन मोह लेती,
हम सबका प्यारा कृष्णा हमारा ।।

तू सबसे बड़ा दानवीर कहलाता,
मित्रता तेरी सबसे निराली ।
गोवर्धन पर्वत को उठा कर सब की जान बचाई,
हम सबका प्यारा कृष्णा हमारा ।।
– नरेंद्र वर्मा

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