Makar Sankranti Hindi Shayari

Makar Sankranti Hindi Shayari
✍️ तिल पकवानों की मिठास जिंदगी में भरिये
पतंगों की तरह आकाश में बुलंदी पाइये
और अपनी मेहनत की डोर से बुलंदी को संभाल के रखिये
आपको मकर संक्रांति की शुभकामनायें

✍️ खुले आसमा में जमी से बात न करो
ज़ी लो ज़िंदगी ख़ुशी का आस न करो
हर त्यौहार में कम से कम हमे न भूलो करो
फ़ोन से न सही मैसेज से ही संक्राति विश किया करो

✍️ पुराना साल जाता है
नया साल आता है
साथ अपने संक्रांति की खुशियां लाता है
भगवान आप को वो खुशियां दे
जो आप का दिल चाहता है

✍️ त्यौहार नहीं होता अपना पराया
त्यौहार है वही जिसे सबने मनाया
तो मिला के गुड़ में तिल
पतंग संग उड़ जाने दो दिल
हैप्पी मकर संक्रांति

✍️ बचपन में वो धूम मचाना, मौज मनाना
यारो के साथ पतंगे उड़ाना
बहुत सही था यार वो ज़माना
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें

✍️ दिल को धडकन से पहले
दोस्तों को दोस्ती से पहले
प्यार को मोहब्बत से पहले
ख़ुशी को गम से पहले
आपको कुछ दिन पहले
मकरसक्रांति की शुभकामना सबसे पहले

✍️ हर पतंग जानती है
अंत में कचरे मे जाना है
लेकिन उसके पहले हमें
आसमान छूकर दिखाना है
बस ज़िंदगी भी यही चाहती है

✍️ काट ना सके कभी कोई पतंग आप की
टूटे ना कभी डोर आपके विश्वास की
छू लो आप जिंदगी की सारी कामयाबी
जैसे पतंग छूती है ऊंचाइयां आसमान की
Wish You Happy Makar Sankranti

✍️ पूर्णिमा का चाँद रंगों की डोली
चाँद से उसकी चांदनी बोली
खुशियों से भरे आपकी झोली
मुबारक हो आप को रंग बिरंगी
‘पतंग वाली ‘ “मकर संक्रांति”

✍️ पल पल सुनहरे फूल खिलें
कभी ना हो काँटों का सामना
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे
संक्रांति पर हमारी यही शुभकामना

✍️ दिल में है छायी मस्ती
मन में भरी है उमंग
उड़ती हैं पतंगें रंग बिरंगी
आसमान में छाया मकर संक्रांति का रंग

✍️ पतंगों का नशा
मांझे की धार
सर्दी की मार
फिर भी दिल है बेक़रार
मुबारक हो आपको पतंगों का त्यौहार
हैप्पी मकर संक्रांति

✍️ ठण्ड की एक सुबह पड़ेगा हमे नहाना
क्यों की संक्रांति का पर्व कर देगा मौसम सुहाना
कही पतंग कही दही चुरा कही खिचड़ी
सब कुछ का है मिल कर ख़ुशी मनना
हैप्पी सक्रांति

✍️ पूर्णिमा का ‘चाँद, रंगों की ‘डोली’.
चाँद से उसकी चांदनी बोली
खुशियो से भरे आपकी ‘झोली
मुबारक हो आप को रंग बिरंगी
‘पतंग वाली ’ मकर संक्रांति
हैप्पी संक्रांति ……

✍️ बंदे हैं हम देश के,
हम पर किसका ज़ोर?
मकर संक्रान्ति में उड़े,
पतंगे चारो और
लंच में खाएं फिरनी गोल,
अपना मांझा खुद सूतने,
आज हम चले छत की और,
हैप्पी मकर सक्रांति

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