Krishna Bhakti Shayari

कृष्ण भक्ति शायरी

कृष्णा कन्हैया बंसी बजैया पार लगा दो हमारी नैया
कर दो निर्मल पावन ये मन,
दुविधा में हैं हमारा जीवन
तेरे ही चरणों में हमने किया है अब तो खुद का समर्पण
तू ही तो है अब तो बस इस डूबती नैया का खेवैया,
कृष्णा कन्हैया बंसी बजैया पार लगा दो हमारी नैया।

कंस को मारा मथुरा में, अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया,
आदर दिया सुदामा को और राधा को प्यार दिया।

तेरी सेवा में ओ गोविन्द मैंने खुद को है समर्पित किया,
अब भेंट तुझे क्या चढ़ाऊ मैं, मैंने सब कुछ तुझको अर्पित किया।

मस्तक मोर मुकुट है शोभे होठों पे बांसुरी प्यारी
ऊँगली पर गोर्वर्धन पर्वत और सबके दिल में गिरधारी।

तू चाहे तो मेरा हर काम साकार हो जाए
तेरी कृपा से खुशियों की बहार हो जाए,
यूँ तो कर्म मेरे भी कुछ ख़ास अच्छे नहीं
मगर तेरी नजर पड़े तो मेरा उद्धार हो जाए।

दे के दर्शन कर दो पूरी प्रभु मेरे मन की तृष्णा,
कब तक तेरी राह निहारूं अब तो आओ कृष्णा।
तेरे बिना अब तो मेरा जीवन है आधा,
तू मेरा कृष्णा कन्हाई मैं तेरी राधा।

अधर पे तेरे बंसुरिया मोर मुकुट मस्तक सुहाई,
कर संघार दैत्यों का तूने अद्भुइत लीला रचाई।

तेरा हाथ सिर पे होने से
मेरे सब काम साकार होते हैं,
मैं जहाँ भी देखता हूँ तुझे मेरे मोहन
मुझे तो बस तेरे दीदार होते हैं।

सारे बिगड़े काम बना दे सुधर जाए ये जीवन,
जिसके ऊपर कर दे कृपा बांसुरी वाला मोहन।
धराशायी हो जाता है उसके आगे चाहे कितना ही बड़ा महारथी हो,
उसे क्या हराएगा इस जहां में कोई कान्हा जिसका खुद सारथी हो।

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