पति पत्नी की लव शायरी

सुख दुःख में हम तूम
हर पाल साथ निभायेंगे,
एक जनम नहीं
सातों जनम पति-पत्नी बन आयेंगे.

दिल बस अब तुझे ही चाहता है,
तेरी यादों में ये खो जाता हैं,
लग गयी इसमें इश्क की आग ऐसी
कि तुझे चूमने को जी चाहता हैं.

फिजा की महकती शाम हो तुम,
प्यार में झलकता जाम हो तुम,
सीने में छुपाये फिरते है चाहत तुम्हारी
तभी तो मेरी जिदंगी का दूसरा नाम हो तुम.

यादों की धुंध में तेरी परछाई सी लगती है
कानो में गूँजती शहनाई सी लगती है
तू करीब है तो अपनापन है
वरना सीने में साँस भी पराई सी लगती है

जिन्दगी तुम्हारे बिना अब कटती नहीं है,
तुम्हारी यादें मेरे दिल से मिटती नहीं है,
तुम बसे हो मेरी आँखों में
निगाहों से तेरी तस्वीर हटती नहीं है.

पिता के लिए शायरी

आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती.

नसीब वाले हैं जिनके सर पर पिता का हाथ होता हैं,
ज़िद पूरी हो जाती हैं सब गर पिता का साथ होता हैं.

पिता हारकर बाज़ी हमेशा मुस्कुराया,
शतरंज की उस जीत को मैं अब समझ पाया.

न हो तो रोती हैं जिदे, ख्वाहिशों का ढेर होता हैं,
पिता हैं तो हमेशा बच्चो का दिल शेर होता हैं.

ऊँगली पकड़ कर चलाते हैं पापा,
गिरने पर उठने का साहस बढ़ाते है पापा.

वहीं श्रवण कुमार बन पायेंगें,
जो पिता के एहसानों का कर्ज चुकायेंगे.

बाप बेटे में अक्सर होती हैं बात,
पर बेटे नहीं समझ पाते पिता के दिल के जज्बात.

रूठो बेशक पर मान जाओ,
पापा तो पापा होते है, ये बात जान जाओ.

बेटे होने का फ़र्ज कभी तुम भी निभाना,
जब पिता “ना” कहे तो उनकी मजबूरी समझ जाना

काश बेटे भी पिता के जज्बात समझ जाते,
बुढ़ापे में उनके हाथो की लाठी बन जाते.

बहुत मुश्किल है दुनिया में ये दो चीजें जान पाना,
माँ की ममता और पिता की क्षमता का अंदाजा लगा पाना.

सूरज और पिता का स्वभाव और गुण एक समान होता हैं,
गरम जरूर होते हैं पर न हो तो अंधियारा छा जाता हैं.

भले ही पिता का स्वभाव कड़ा होता हैं,
पर बच्चों पर उनका एहसान बड़ा होता हैं.

अपने पति में पिता के गुण ढूँढती हैं,
पिता की कीमत सिर्फ़ बेटियाँ समझती हैं.

जब भी मेरे आस-पास थकान नजर आती है,
तो काम करते मेरे पिता की तस्वीर दिखाती हैं.

बचपन की हर मुसीबत में पिता याद आते हैं,
बुढ़ापे में क्यों बेटे पिता को भूल जाते हैं.

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं,
पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं.

पिता एक पैर पर दौड़ता है किस के लिए,
अपने बच्चों को उनके पैरों पर खड़ा करने के लिए.

पिता की नजरें थोड़ी शक्की होती हैं,
पर उनके गुस्से में बेटे की तरक्की होती हैं.

माँ के लिए शायरी

मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ

जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा.

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती.

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई.

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना!

किसी भी ​मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
​शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता​।

सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है।

अपनी माँ को कभी न देखूँ तो चैन नहीं आता है,
दिल न जाने क्यूँ माँ का नाम लेते ही बहल जाता है।

ऐ अँधेरे देख मुह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी, घर में उजाला हो गया।

कुछ इस तरह वो मेरे गुनाहों को धो देती है,
माँ बहुत गुस्से मे होती है तो रो देती है।

हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी,
हम गरीब थे, ये बस हमारी माँ जानती थी…

जब-जब कागज पर लिखा मैने माँ का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गये चारो धाम।

पति पत्नी के लिए शायरी

पति पत्नी के रिश्तें की शान बन जाएँ,
एक दुसरे के लबों की मुस्कान बन जाएँ.

पति पत्नी में कोई रूठे तो इक दूजे को मना लो,
दिल उठे मोहब्बत के अरमान तो खुलकर बता दो.

जिसे तुम समझ सको वो बात है हम,
जो नही सुबह लाये वो रात है हम,
तोड़ देते है लोग रिश्ते बनाकर,
जो कभी छूटे ना वो साथ है हम.

एक दूजे से लड़ाई हो तो मना भी लिया करों,
कभी तुम तो कभी वो रिश्तें को निभा लिया करों.

यादें अक्सर होती है सताने के लिए,
कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए,
रिश्तें निभाना कोई मुश्किल तो नहीं,
बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए.

तेरी हर ख़ुशी और गम से रिश्ता है मेरा,
तू मेरी जिंदगी का इक अनमोल हिस्सा है मेरा.

कोई चीज टूट जाएँ तो उसे सजाना सीखों,
कोई अपना रूठ जाएँ तो उसे मनाना सीखों,
रिश्तें बनते है बड़ी किस्मत से
हर हाल में रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सीखों.

जिन्दगी में रिश्तें कम बनाइयें,
मगर उन्हें दिल से निभाइयें.

रिश्तों की खूबसूरती को दिल में सजा लीजिये,
अपनों के रूठने से पहले उन्हें मना लीजिये.

किस्मत और पत्नी भले ही परेशान करती हो,
लेकिन जब साथ देती है तो जिन्दगी बदल जाती है.

माँ के लिए शायरी

वो हाथ सिर पर रख दे तो आशीर्वाद बन जाता है
उसको रुलाने वाला जल्लाद बन जाता है
माँ का दिल ना दुखाना कभी
उसका तो जूठा भी प्रसाद बन जाता है.

माँ अपने बच्चों पर सब निछावर करती है
बिना लालच उन्हें प्यार करती है
भगवान का दूसरा रूप है हमारी माँ
जो हर दुख में हमारा साथ देती है.

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।

रब ने माँ को यह आज़मत कमाल दी
उसकी दुआ पर हर मुसीबत भी टाल दी
माँ के प्यार की कुछ इस तरह मिसाल दी
कि जन्नत उठाकर माँ के क़दमों में डाल दी

हर इंसान के ज़िन्दगी में वह सबसे ख़ास होती है
दूर होते हुए भी वह दिल के पास होती है
जिसके सामने मौत भी अपना सर झुका दे
वह और कोई नहीं बस माँ होती है

माँ ना होगी तो वफ़ा कौन करेगा
ममता का हक़ भी कौन अदा करेगा
रब हर एक माँ को सलामत रखना
वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा

ये जो सख्त रस्तो पे भी आसान सफ़र लगता हैं
ये मुझ को माँ की दुआओ का असर लगता हैं
एक मुद्दत हुई मेरी मां नही सोई तबिश …
मैंने एक बार कहा था के मुझे डर लगता हैं ..!!

हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

मंजिल दूर और सफ़र बहुत है
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है
मार डालती ये दुनिया कब की हमे
लेकिन “माँ” की दुआओं में असर बहुत है

माँ से रिश्ता ऐेसा बनाया जाए
जीसको निगाहों में बिठाया जाए
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा
के वो अगर उदास हो
तो हमसे भी मुश्कुराया न जाए….!!!