Hey Beautiful! I wanted to gift you something which makes your world full of love so I am sending a bunch of Roses for my princess. I hope the fragrance of these roses fill your life with happiness and joy. Happy Rose Day Read More
गुलाब खिलते रहे ज़िंदगी की राह् में हँसी चमकती रहे आप कि निगाह में खुशी कि लहर मिलें हर कदम पर आपको देता हे ये दिल दुआ बार–बार आपको रोज डे की हार्दिक शुभकामनाएं Read More
आ गया बसंत है, छा गया बसंत है नया-नया रंग लिए आ गया मधुमास है आंखों से दूर है जो वह दिल के पास है फिर से जमुना तट पर कुंज में पनघट पर खेल रहा छलिया
आ गया बसंत है छा गया बसंत है मस्ती का रंग भरा मौज भरा मौसम है फूलों की दुनिया है गीतों का आलम है आंखों में प्यार भरे स्नेहिल उदगार लिए राधा की मचल रही पायलिया
आ गया बसन्त है छा गया बसंन्त है
कंचन पाण्डेय
दूर खेत मुसकरा रहे हरे-हरे डोलती बयार नव-सुगंध को धरे गा रहे विहग नवीन भावना भरे प्राण! आज तो विशुद्ध भाव प्यार का हृदय समा गया अंग-अंग में उमंग आज तो पिया बसंत आ गया
खिल गया अनेक फूल-पात से चमन झूम-झूम मौन गीत गा रहा गगन यह लजा रही उषा कि पर्व है मिलन आ गया समय बहार का, विहार का नया नया नया अंग-अंग में उमंग आज तो पिया बसंत आ गया
महक उड़ी है चहके चिड़िया भंवरे मतवाले मंडरा रहे हैं सोलह सिंगार से क्यारी सजी है रस पीने को आ रहे हैं
लगता है इस चमन बाग में फिर से चांदी उग आई है अलौकिक आनंद अनोखी छटा अब बसंत ऋतु आई है कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती पुरवा पंख डोलाई है
शम्भू नाथ
फूलों की सुगंधित। कलियों पर जा के प्रेम का गीत सुनाता है
अपने दिल की बात कहने में बिलकुल नहीं लजाता है कभी-कभी कलियों में छुपकर संग में सो रात बिताता है
गेंदा गमके महक बिखेरे उपवन को आभास दिलाए बहे बयारिया मधुरम्-मधुरम् प्यारी कोयल गीत जो गाए ऐसी बेला में उत्सव होता जब वाग देवी भी तान लगाए
आयो बसंत बदल गई ऋतुएं हंस यौवन श्रृंगार सजाए
छोड़ कोमल फूल का घर ढूंढती हूं कुंज निर्झर. पूछती हूं नभ धरा से क्या नहीं ऋतुराज आया?
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत मै अग-जग का प्यारा वसंत
मेरी पगध्वनि सुन जग जागा कण-कण ने छवि मधुरस माँगा
नव जीवन का संगीत बहा पुलकों से भर आया दिगंत
मेरी स्वप्नों की निधि अनंत मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
महादेवी वर्मा
कभी आंख ने समझी कभी कान ने पाई कभी रोम-रोम से प्राणों में भर आई और है कहानी दिगंत की
नीले आकाश में नई ज्योति छा गई कब से प्रतीक्षा थी वही बात आ गई एक लहर फैली अनंत की
त्रिलोचन
सुमित्रानंदन पंत
Let’s not forget that it has cost us three hundred years of struggle to earn freedom. It is time to rise and stand for our beliefs. Read More
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