15 August Bhakti Aur Deshbhakti Ka Sankalp Image

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🇮🇳 15 अगस्त – भक्ति और देशभक्ति का संकल्प 🇮🇳

आज का दिन हमें याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति केवल मंदिर में दीप जलाना नहीं,
बल्कि अपने कर्मों से प्रभु के बनाए देश और समाज की रक्षा करना भी है।

🙏 आज का भक्ति-देशभक्ति संकल्प 🙏
– ईमानदारी से कार्य करना, क्योंकि सत्य ही प्रभु का स्वरूप है।
– प्रकृति की रक्षा करना, क्योंकि यह ईश्वर की बनाई धरोहर है।
– स्थानीय उत्पाद अपनाना, ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो और प्रभु का आशीर्वाद फले-फूले।
– जरूरतमंद की मदद करना, क्योंकि सेवा ही सच्ची भक्ति है।
– नियम-कानून का पालन करना, क्योंकि अनुशासन धर्म का आधार है।
– देश के वीरों का सम्मान करना, क्योंकि वे प्रभु के रक्षक रूप हैं।
– संस्कृति और संस्कार को आगे बढ़ाना, ताकि प्रभु की विरासत अमर रहे।

💚 माँ लक्ष्मी की कृपा से भारत समृद्ध और खुशहाल बने,
माँ दुर्गा की शक्ति से यह देश साहस, एकता और धर्म के प्रकाश से आलोकित हो।

✨ वंदे मातरम् | जय हिंद | जय माँ लक्ष्मी | जय माँ दुर्गा ✨

🇮🇳 “दैनिक कर्मों में आज़ादी – 15 अगस्त की प्रेरक कहानियाँ” 🇮🇳

1️⃣ ट्रैफिक का सम्मान

सुमित रोज़ जल्दी में सिग्नल तोड़ देता था। एक दिन उसने सोचा – “आजादी का मतलब है नियम से जीना, न कि तोड़ना।”
उसने ट्रैफिक लाइट का पालन शुरू किया और दूसरों को भी समझाया।

2️⃣ देशी सामान की पहचान

रीमा ने बाज़ार में विदेशी चॉकलेट उठाई, लेकिन फिर भारतीय ब्रांड देखकर बोली – “क्यों न अपने देश की मेहनत का स्वाद लिया जाए?”
उसने भारतीय उत्पाद खरीदे।

3️⃣ सफाई में योगदान

मोहल्ले में गंदगी देखकर लोग बस शिकायत करते थे। सीमा ने झाड़ू उठाई और सफाई शुरू की।
लोग बोले – “तुम्हारी ये पहल हमें भी प्रेरित करती है।”

4️⃣ पानी बचाने का संकल्प

अजय दाँत साफ़ करते समय नल खुला छोड़ देता था। स्कूल में भाषण सुना – “पानी की बर्बादी भविष्य की गुलामी है।”
उस दिन से वह पानी बचाने लगा।

5️⃣ बिजली की बचत

रवि टीवी देखते-देखते सो जाता था। पिताजी ने कहा – “बिजली बचाना भी देश की सेवा है।”
अब सोने से पहले वह सारे स्विच बंद करता है।

6️⃣ पेड़ लगाना

15 अगस्त पर निबंध में पढ़ा – “हरे पेड़ जीवन की सांस हैं।”
अगले रविवार, पूजा ने दो पेड़ लगाए और रोज़ पानी देना शुरू किया।

7️⃣ सच बोलने की ताकत

राहुल से गलती से ऑफिस का एक प्रोजेक्ट बिगड़ गया। उसने छुपाने की बजाय सच बता दिया।
बॉस ने कहा – “यही है असली आज़ादी – सच कहने का साहस।”

8️⃣ दूसरों के अधिकार का सम्मान

बस में एक बुजुर्ग खड़े थे। अर्पित ने तुरंत अपनी सीट दे दी।
बुजुर्ग मुस्कुराए – “आजादी का मतलब है, अपने हक के साथ दूसरों के हक को भी मानना।”

9️⃣ कचरा सही जगह डालना

पिकनिक पर माया ने बच्चों को चिप्स के पैकेट कूड़ेदान में डालने को कहा।
बच्चे बोले – “हम अपने देश को गंदा नहीं करेंगे।”

🔟 ईमानदारी का मूल्य

दुकान में ग्राहक के पैसे ज़्यादा गिर गए। विक्रम ने लौटा दिए।
ग्राहक ने कहा – “तुम्हारी ईमानदारी देश को महान बनाती है।”

1️⃣1️⃣ समय पर काम करना

स्कूल में प्रोजेक्ट देर से देने पर शिक्षक ने कहा – “अनुशासन आज़ादी की ढाल है।”
उस दिन से सीमा ने समय की पाबंदी अपनाई।

1️⃣2️⃣ पढ़ाई को प्राथमिकता

अनिल गेम खेलने में पढ़ाई भूल जाता था। 15 अगस्त के भाषण में सुना – “शिक्षा ही असली स्वतंत्रता है।”
अब वह पढ़ाई और खेल दोनों में संतुलन रखता है।

1️⃣3️⃣ साझा करना

ऑफिस में लंच टाइम पर सुषमा ने अपना खाना सहकर्मियों के साथ बाँटा।
सब बोले – “देश की एकता भी ऐसे छोटे-छोटे प्यार से बढ़ती है।”

1️⃣4️⃣ शोर कम करना

त्योहार में तेज़ लाउडस्पीकर से पड़ोसियों को परेशानी हो रही थी। मोहन ने आवाज़ धीमी कर दी।
कहा – “आजादी का मतलब है, दूसरों की शांति का भी ध्यान रखना।”

1️⃣5️⃣ पब्लिक प्रॉपर्टी की रक्षा

पार्क में बेंच पर कोई नाम लिख रहा था। नेहा ने रोका – “ये हमारी संपत्ति है, इसे खराब करना खुद को नुकसान देना है।”

1️⃣6️⃣ स्वास्थ्य का ध्यान

सुबह व्यायाम शुरू करने में आलसी था विकास। डॉक्टर ने कहा – “स्वस्थ शरीर ही आज़ादी का आनंद ले सकता है।”
अब वह रोज़ योग करता है।

1️⃣7️⃣ भेदभाव खत्म करना

ऑफिस में नई महिला कर्मचारी को नजरअंदाज़ किया जा रहा था। सीमा ने कहा – “हम आज़ाद देश में हैं, यहाँ सबको बराबर मौका है।”

1️⃣8️⃣ सड़क सुरक्षा

स्कूटी पर बिना हेलमेट चलना पूजा की आदत थी। एक दिन भाई ने कहा – “जान की सुरक्षा ही असली आज़ादी है।”
अब पूजा बिना हेलमेट घर से नहीं निकलती।

1️⃣9️⃣ किताब पढ़ने की आदत

अविनाश मोबाइल में समय बर्बाद करता था। लाइब्रेरी में किताब पढ़कर बोला – “ज्ञान ही वो चाबी है, जो हर कैद खोल देती है।”

2️⃣0️⃣ मदद का हाथ बढ़ाना

बाज़ार में एक बुजुर्ग महिला का सामान गिर गया। सौरभ ने तुरंत उठाने में मदद की।
महिला बोली – “बेटा, यही है आज़ादी – दिल से मदद करने की आज़ादी।”

20 वास्तविक कहानियों का एक भक्तिमय-देशभक्ति संग्रह

1️⃣ भगत सिंह का त्याग

जब भगत सिंह को फाँसी की सज़ा सुनाई गई, तो जेल के एक अधिकारी ने पूछा –
“तुम्हें डर नहीं लगता?”
भगत सिंह मुस्कराकर बोले –
“डर कैसा? मैं तो आज़ादी की राह में प्राण दे रहा हूँ, यह तो सौभाग्य है।”
संदेश: जो जीवन मातृभूमि के लिए अर्पित हो, वह अमर हो जाता है।

2️⃣ रानी लक्ष्मीबाई की वीरता

1857 में जब अंग्रेज़ों ने झाँसी पर हमला किया, तो रानी लक्ष्मीबाई ने अपने छोटे बेटे को पीठ पर बाँधकर तलवार थामी। उन्होंने अंतिम साँस तक लड़ते हुए कहा –
“मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी।”
संदेश: सच्चा नेतृत्व अपने लोगों की रक्षा के लिए हर बलिदान करने को तैयार रहता है।

3️⃣ महात्मा गांधी का नमक सत्याग्रह

1930 में गांधी जी ने 78 साथियों के साथ साबरमती से दांडी तक 390 किमी की यात्रा की। उन्होंने नमक बनाकर अंग्रेज़ी कानून को तोड़ा, और लाखों लोगों को शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए प्रेरित किया।
संदेश: सत्य और अहिंसा से भी बड़े-बड़े साम्राज्य हिलाए जा सकते हैं।

4️⃣ खुदीराम बोस का साहस

सिर्फ 18 साल की उम्र में खुदीराम बोस को फाँसी दी गई। फाँसी पर चढ़ते समय उनके चेहरे पर मुस्कान थी और उनके होंठों पर “वंदे मातरम्” का जयकारा।
संदेश: उम्र छोटी हो या बड़ी, साहस ही इंसान को महान बनाता है।

5️⃣ नेताजी सुभाष का नारा

सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फौज के सैनिकों को जोश से भरते हुए कहा –
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।”
यह नारा लोगों के दिलों में आज भी देशप्रेम की आग जलाता है।
संदेश: बड़े लक्ष्य के लिए बड़े बलिदान की ज़रूरत होती है।

6️⃣ चंद्रशेखर आज़ाद का संकल्प

इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेज़ों से घिर जाने पर चंद्रशेखर आज़ाद ने खुद पर आखिरी गोली चला दी, ताकि दुश्मन उन्हें जीवित न पकड़ सके।
संदेश: आज़ादी के लिए लिया गया प्रण अंत तक निभाना ही सच्चा वीरत्व है।

7️⃣ बिपिन चंद्र पाल का जागरण

लाल-बाल-पाल त्रयी में से बिपिन चंद्र पाल ने शिक्षा और लेखनी के माध्यम से युवाओं में आज़ादी का भाव जगाया।
संदेश: कलम भी तलवार से कम नहीं होती, अगर उसमें सत्य की शक्ति हो।

8️⃣ अशफाक उल्ला खान और रामप्रसाद बिस्मिल की मित्रता

दोनों ने काकोरी कांड में साथ दिया और फाँसी की सज़ा पाई। जेल में भी उन्होंने वंदेमातरम् का गीत गाते हुए अंतिम क्षण बिताए।
संदेश: धर्म और जाति से ऊपर उठकर मातृभूमि की सेवा ही सच्ची एकता है।

9️⃣ मैडम भीकाजी कामा का तिरंगा

1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट सम्मेलन में उन्होंने पहली बार भारतीय तिरंगा फहराया और दुनिया से भारत की आज़ादी के लिए समर्थन माँगा।
संदेश: सच्चा देशप्रेम सीमाओं से परे जाकर भी देश की पहचान बनाए रखता है।

🔟 राजगुरु का बलिदान

राजगुरु ने अंग्रेज़ अधिकारी सॉन्डर्स पर गोली चलाकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया। फाँसी के समय उनके चेहरे पर मुस्कान थी।
संदेश: वीर वही है, जो न्याय के लिए प्राण अर्पित कर दे।

1️⃣1️⃣ उदयमान क्रांतिकारी सुखदेव

भगत सिंह और राजगुरु के साथी सुखदेव ने बिना झिझक फाँसी स्वीकार की। उन्होंने कहा – “मृत्यु तो क्षणिक है, पर गुलामी स्थायी पीड़ा है।”
संदेश: जो व्यक्ति मृत्यु से नहीं डरता, वह किसी को भी डरा सकता है।

1️⃣2️⃣ ततिया टोपे की गुरिल्ला लड़ाई

1857 के विद्रोह में ततिया टोपे ने अंग्रेज़ों के खिलाफ कई बार गुरिल्ला युद्ध किया और महीनों तक उन्हें परेशान किया।
संदेश: धैर्य और रणनीति से कठिन से कठिन लड़ाई जीती जा सकती है।

1️⃣3️⃣ वीर सावरकर की कलम और क्रांति

अंडमान की सेल्यूलर जेल में सावरकर ने स्वतंत्रता के गीत पत्थरों पर लिखे, ताकि साथी कैदियों में हिम्मत बनी रहे।
संदेश: आशा की ज्योत किसी भी अंधकार में जल सकती है।

1️⃣4️⃣ कस्तूरबा गांधी का धैर्य

गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने सत्याग्रह में जेल जाते हुए कहा –
“अगर मैं डर गई, तो औरतें कैसे आगे बढ़ेंगी?”
संदेश: महिलाओं का साहस भी स्वतंत्रता संग्राम का बड़ा आधार था।

1️⃣5️⃣ उदयमान लाला लाजपत राय

साइमन कमीशन के विरोध में लाठीचार्ज से घायल होने के बाद भी उन्होंने कहा –
“मेरे शरीर पर पड़ी हर चोट अंग्रेज़ी साम्राज्य के ताबूत में कील बनेगी।”
संदेश: बलिदान की आग ही परिवर्तन का दीप जलाती है।

1️⃣6️⃣ मंगल पांडे की शुरुआत

1857 के विद्रोह का पहला शंखनाद मंगल पांडे ने किया, जिसने अंग्रेज़ी सेना के भीतर ही विद्रोह भड़का दिया।
संदेश: कभी-कभी एक चिंगारी पूरी क्रांति को जन्म देती है।

1️⃣7️⃣ अब्दुल गफ्फार खान – सीमांत गांधी

उन्होंने पठानों को अहिंसा के मार्ग पर चलाकर आज़ादी के आंदोलन में जोड़ा।
संदेश: शांति का मार्ग भी अत्याचार की जंजीरें तोड़ सकता है।

1️⃣8️⃣ डॉ. राजेंद्र प्रसाद की सेवा

अंग्रेज़ों की जेल में रहते हुए भी वे कैदियों को पढ़ाते और उनकी मदद करते रहे।
संदेश: सेवा का भाव किसी भी परिस्थिति में नहीं रुकना चाहिए।

1️⃣9️⃣ मातंगिनी हाजरा की अंतिम यात्रा

73 साल की उम्र में तिरंगा लेकर जुलूस का नेतृत्व करते हुए वे गोली लगने के बाद भी “वंदे मातरम्” बोलती रहीं।
संदेश: उम्र कभी भी देशभक्ति के जोश को कम नहीं कर सकती।

2️⃣0️⃣ जालियांवाला बाग का बलिदान

1919 में निहत्थे लोगों पर गोलीबारी ने पूरे देश में क्रांति की आग जला दी।
संदेश: अत्याचार कभी स्थायी नहीं होता, वह अंततः जनशक्ति के सामने हारता है।

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