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भगवान श्रीविष्णु जी के 1 से 50 मंत्र
हर मंत्र के साथ 🔷, अर्थ और लाभ — साफ़, भक्तिपूर्ण और तैयार उपयोग के लिए:
शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी रहता है। विशेषकर वैशाख, कार्तिक और श्रावण में विष्णु आराधना बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। श्रीहरि विष्णु का स्वरूप शांत और आनंदमयी है। वे जगत का पालन करने वाले देवता हैं। नियमित भगवान विष्णु का स्मरण करने से जीवन के समस्त संकटों का नाश होता है तथा धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
आइए जानें भगवान श्रीहरि विष्णु के पवित्र मंत्र…

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🔷 1. ॐ नमो नारायणाय
🔸 अर्थ:
मैं नारायण (श्रीविष्णु) को नमन करता हूँ, जो संपूर्ण सृष्टि के पालक और परमात्मा हैं।
🔸 लाभ:
– आत्मिक शांति और संतुलन
– भगवान से सीधा भावनात्मक संबंध
– सभी अमंगलों से रक्षा

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🔷 2. ॐ श्री विष्णवे नमः / ॐ विष्णवे नमः
🔸 अर्थ:
भगवान विष्णु को नमस्कार, जो धर्म और संतुलन के प्रतीक हैं।
🔸 लाभ:
– शुभता और धर्मबुद्धि
– कार्यों में सफलता
– प्रभु के प्रति समर्पण का भाव
—
🔷 3. नमो भगवते वासुदेवाय
🔸 अर्थ:
भगवान वासुदेव (श्रीकृष्ण रूप में विष्णु) को बारंबार नमस्कार।
🔸 लाभ:
– मन की शुद्धि
– भक्ति भाव जागरण
– मोक्ष की ओर प्रेरणा
—
🔷 4. विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
🔸 अर्थ:
हम नारायण को जानें, वासुदेव का ध्यान करें — वह विष्णु हमारी बुद्धि को प्रेरणा दें।
🔸 लाभ:
– ज्ञान और विवेक की प्राप्ति
– चित्त की स्पष्टता
– विद्यार्थियों और साधकों के लिए उत्तम
—
🔷 5. विष्णु ध्यान श्लोक
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं…
🔸 अर्थ:
जो शांत, शेषनाग पर शयन करने वाले, कमलनाभ, देवों के स्वामी और संपूर्ण विश्व के आधार हैं — उन श्रीविष्णु का ध्यान करें।
🔸 लाभ:
– ध्यान में स्थिरता
– स्वरूप चिंतन से भक्ति की गहराई
– सौम्यता और संतुलन की अनुभूति
—
🔷 6. ॐ विष्णवे नमः
🔸 अर्थ:
श्रीविष्णु को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– सरल जप के लिए उपयुक्त
– मानसिक संतुलन
– श्रद्धा का स्थायित्व
—
🔷 7. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
🔸 अर्थ:
परमात्मा वासुदेव को बारंबार प्रणाम।
🔸 लाभ:
– वैदिक मूल मंत्र
– मोक्षदायक और सत्त्वगुण को प्रबल करता है
– हर कार्य में शुभता
—
🔷 8. पुरुषसूक्त मंत्र (पूर्ण रूप)
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।
स भूमिं विश्वतो वृत्वा अत्यतिष्ठद्दशाङुलम्॥
🔸 अर्थ:
वह पुरुष (भगवान विष्णु) हजार सिरों, हजार नेत्रों और हजारों चरणों वाले हैं।
उन्होंने सम्पूर्ण पृथ्वी को व्याप्त कर लिया है और उस व्याप्ति से भी दस अंगुल ऊपर स्थित हैं।
🔸 लाभ:
– भगवान विष्णु के विराट और ब्रह्मांडीय स्वरूप का ध्यान
– आध्यात्मिक विस्तार और ईश्वर के प्रति गहन समर्पण
– गीता और वेदों की गूढ़ता को समझने की प्रेरणा
—
🔷 9. श्रीहरि स्तुति श्लोक (पूर्ण रूप)
त्वमेव माता च पिता त्वमेव।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव।
त्वमेव सर्वं मम देव देव॥
🔸 अर्थ:
हे प्रभु! आप ही मेरे माता हैं, आप ही पिता हैं।
आप ही मेरे बंधु हैं, और सखा भी आप ही हैं।
आप ही मेरी विद्या हैं, धन हैं — और आप ही मेरे सर्वस्व हैं, हे देवों के देव!
🔸 लाभ:
– समर्पण की चरम अवस्था
– जीवन के हर संबंध में ईश्वर की अनुभूति
– भक्ति, प्रेम और आत्मिक शांति की प्राप्ति
—
🔷 10. ॐ श्रीं श्रीनिवासाय श्रीवल्लभाय नमः
🔸 अर्थ:
लक्ष्मीपति श्रीनिवास (विष्णु) को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– लक्ष्मी-कृपा
– वैभव, यश और पारिवारिक सुख
– धन और सौम्यता की प्राप्ति
—
🔷 11. विष्णु रक्षा गायत्री
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
🔸 अर्थ:
नारायण को जानें, वासुदेव का ध्यान करें — विष्णु हमारी रक्षा करें।
🔸 लाभ:
– चित्त की सुरक्षा
– भक्ति में स्थिरता
– प्रभु की दिव्य प्रेरणा
—
🔷 12. अष्टनाम मंत्र
ॐ विष्णवे, नारायणाय, माधवाय, गोविन्दाय, मधुसूदनाय, त्रिविक्रमाय, वामनाय, श्रीधराय नमः।
🔸 अर्थ:
श्रीविष्णु के आठ रूपों का स्मरण और नमन।
🔸 लाभ:
– आठ रूपों की विविध कृपा
– संपूर्ण जीवन में संतुलन
– संकटों से मुक्ति
—
🔷 13. ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः
🔸 अर्थ:
लक्ष्मी-नारायण को समर्पण।
🔸 लाभ:
– सौभाग्य और समृद्धि
– पारिवारिक प्रेम और सहयोग
– घर में लक्ष्मी-विष्णु कृपा
—
🔷 14. ॐ श्री लक्ष्मीपतये नमः
🔸 अर्थ:
श्री लक्ष्मी के पति विष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– वित्तीय स्थिरता
– जीवन में ऐश्वर्य और प्रेम
– गृहस्थ संतुलन
—
🔷 15. ॐ दामोदराय नमः
🔸 अर्थ:
रस्सी से बंधे श्रीकृष्ण रूप में विष्णु को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– बाल भाव भक्ति
– करुणा, प्रेम और कोमलता
– हृदय को शुद्ध करता है
—
🔷 16. ॐ वासुदेवाय नमः
🔸 अर्थ:
वासुदेव (कृष्ण रूप में विष्णु) को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– श्रीकृष्ण भक्ति
– प्रेम और नीति का समावेश
– आत्म-ज्ञान और व्यवहारिक संतुलन
—
🔷 17. ॐ पद्मनाभाय नमः
🔸 अर्थ:
कमलनाभ विष्णु को नमन, जिनकी नाभि से ब्रह्मा उत्पन्न हुए।
🔸 लाभ:
– ब्रह्मा-विष्णु के सृजन भाव का अनुभव
– बुद्धि और रचनात्मकता
– दिव्यता का ध्यान
—
🔷 18. ॐ गोविन्दाय नमः
🔸 अर्थ:
गोप-गोपियों के रक्षक और पृथ्वी के पालनकर्ता को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– प्रेममयी भक्ति
– श्रीकृष्ण रूप का भाव
– मन को प्रसन्न करता है
—
🔷 19. ॐ जनार्दनाय नमः
🔸 अर्थ:
जो सभी जनों का पालन और रक्षण करते हैं — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– विपत्ति से रक्षा
– सेवा भाव और सहनशीलता
– प्रभु की करुणा का अनुभव
—
🔷 20. ॐ श्रीधराय नमः
🔸 अर्थ:
जो लक्ष्मी जी को अपने हृदय में धारण करते हैं — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– लक्ष्मी-विष्णु दोनों की कृपा
– प्रेम, समृद्धि और संतुलन
– पारिवारिक सुख-शांति
🔷 21. ॐ त्रिविक्रमाय नमः
🔸 अर्थ:
त्रिविक्रम (वामन रूप में तीनों लोकों को नापने वाले भगवान) को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– अभिमान का विनाश
– विनम्रता, धर्म और बल का संतुलन
– बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास
—
🔷 22. ॐ मधुसूदनाय नमः
🔸 अर्थ:
मधु नामक असुर का संहार करने वाले श्रीविष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– नकारात्मकता और बुराई पर विजय
– आंतरिक भय का नाश
– धर्म की रक्षा का संकल्प
—
🔷 23. ॐ उपेन्द्राय नमः
🔸 अर्थ:
देवताओं के छोटे भाई (इन्द्र के छोटे भाई) रूप में श्रीकृष्ण या वामन रूप को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– भाईचारे और सहयोग की भावना
– देवत्व से जुड़ाव
– सरलता और संतुलन की प्राप्ति
—
🔷 24. ॐ अनंताय नमः
🔸 अर्थ:
जो अनंत हैं, जिनका कोई आदि और अंत नहीं — ऐसे श्रीविष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– काल और मृत्यु के भय से मुक्ति
– निरंतरता और स्थिरता का आशीर्वाद
– आत्मा की अनंतता का बोध
—
🔷 25. ॐ हृषीकेशाय नमः
🔸 अर्थ:
इंद्रियों के स्वामी, जो हृदय में वास करते हैं — श्रीहृषीकेश विष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– इंद्रियों पर नियंत्रण
– योग और ध्यान में गहराई
– संकल्प शक्ति की वृद्धि
—
🔷 26. ॐ नारायणाय नमः
🔸 अर्थ:
नार (जल) में वास करने वाले — संपूर्ण सृष्टि के रक्षक श्रीनारायण को नमन।
🔸 लाभ:
– सृष्टि के मूल तत्व से जुड़ाव
– रक्षा और पालन की अनुभूति
– जल तत्व में संतुलन और ऊर्जा
—
🔷 27. ॐ जगन्नाथाय नमः
🔸 अर्थ:
जो सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रभु की उपस्थिति
– कर्तव्य और धर्म का स्मरण
– पूर्ण समर्पण और सेवा भाव
—
🔷 28. ॐ केशवाय नमः
🔸 अर्थ:
जो सुंदर केशों वाले हैं, और असुर केशी का वध करने वाले हैं — उन्हें नमस्कार।
🔸 लाभ:
– सुंदरता, साहस और धर्म का संतुलन
– श्रीकृष्ण भाव की अनुभूति
– आत्मरूप सौंदर्य का जागरण
—
🔷 29. ॐ माधवाय नमः
🔸 अर्थ:
माया के स्वामी, लक्ष्मीपति श्रीमाधव को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– भक्ति में माधुर्य
– गृहस्थ जीवन में संतुलन
– लक्ष्मी-विष्णु दोनों की कृपा
—
🔷 30. ॐ विष्णवे श्रीधराय नमः
🔸 अर्थ:
जो श्री (लक्ष्मी) को अपने हृदय में धारण करते हैं — ऐसे श्रीधर विष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– दिव्यता और करुणा का संचार
– प्रेम, ऐश्वर्य और शांति
– घर-परिवार में शुभता
🔷 31. ॐ आदित्यवर्णाय नमः
🔸 अर्थ:
जो सूर्य के समान तेजस्वी हैं — ऐसे विष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– आत्मबल और तेज की वृद्धि
– आलस्य, अज्ञान और तमोगुण से मुक्ति
– रोगों से रक्षा और प्रकाशमय ऊर्जा का संचार
—
🔷 32. ॐ यज्ञमूर्तये नमः
🔸 अर्थ:
जो स्वयं यज्ञस्वरूप हैं — उन्हें नमस्कार।
🔸 लाभ:
– कर्मयोग और यज्ञभाव का जागरण
– सेवा में समर्पण की भावना
– धर्म और त्याग की प्रेरणा
—
🔷 33. ॐ नरसिंहाय नमः
🔸 अर्थ:
जो आधे मानव, आधे सिंह रूप में प्रकट हुए — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– भयानक संकटों में रक्षा
– अत्याचार और भय का अंत
– धर्म की विजय और भक्त की रक्षा
—
🔷 34. ॐ द्वारकानाथाय नमः
🔸 अर्थ:
द्वारका के स्वामी श्रीकृष्ण (विष्णु) को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– राजसी स्थिरता और ज्ञान
– श्रीकृष्ण भाव और नीति में निपुणता
– श्रीकृष्ण लीला की स्मृति
—
🔷 35. ॐ वामनरूपाय नमः
🔸 अर्थ:
जो वामन अवतार में प्रकट हुए — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– विनम्रता, विवेक और मर्यादा का विकास
– छल से बचाव और धर्म का संरक्षण
– ब्रह्मतेज और ज्ञान का बोध
—
🔷 36. ॐ परिपूर्णाय नमः
🔸 अर्थ:
जो पूर्ण ब्रह्म हैं, जिनमें कोई न्यूनता नहीं — ऐसे विष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– जीवन में संतुलन और संपूर्णता
– मन के दोषों का नाश
– ब्रह्मज्ञान की ओर प्रवृत्ति
—
🔷 37. ॐ सत्यनारायणाय नमः
🔸 अर्थ:
जो सत्यस्वरूप नारायण हैं — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– व्रत, पूजन और ग्रहशांति में विशेष फलदायक
– पारिवारिक कल्याण और धन-धान्य की प्राप्ति
– सत्य और श्रद्धा का समावेश
—
🔷 38. ॐ लक्ष्मीनारायणाय नमः
🔸 अर्थ:
लक्ष्मी और नारायण की युगल स्वरूप में वंदना।
🔸 लाभ:
– वैवाहिक सुख और पारिवारिक एकता
– धन और भक्ति दोनों की प्राप्ति
– सुख-शांति और प्रेम की ऊर्जा
—
🔷 39. ॐ विष्णुरूपाय नमः
🔸 अर्थ:
जो सबमें व्याप्त होकर सृष्टि के रूप में प्रकट हैं — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– अद्वैत और ईश्वरत्व का बोध
– भक्त को ब्रह्म भाव की अनुभूति
– एकता और करुणा का विस्तार
—
🔷 40. ॐ नाथाय नमः
🔸 अर्थ:
जो सबके नाथ (स्वामी, आश्रयदाता) हैं — उन विष्णु को नमन।
🔸 लाभ:
– जीवन में आश्रय, सुरक्षा और साहस
– कर्तृत्व की भावना और नेतृत्व गुण
– संपूर्ण समर्पण और कृपा की प्राप्ति
🔷 41. ॐ योगेश्वराय नमः
🔸 अर्थ:
जो समस्त योगों के स्वामी हैं — उन्हें नमस्कार।
🔸 लाभ:
– योग साधना में सफलता
– इन्द्रियों पर नियंत्रण
– आध्यात्मिक अनुशासन और चेतना
—
🔷 42. ॐ पुण्यश्लोकाय नमः
🔸 अर्थ:
जिनका नाम स्मरण मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है — उन्हें नमस्कार।
🔸 लाभ:
– जप और पाठ से अज्ञान का नाश
– भाग्य में उन्नति और संचित पुण्य
– भक्ति से जीवन में दिव्यता का संचार
—
🔷 43. ॐ विश्वात्मने नमः
🔸 अर्थ:
जो सम्पूर्ण जगत की आत्मा हैं — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– ब्रह्मांडीय एकता का बोध
– ‘सर्व में भगवान’ की अनुभूति
– करुणा, समानता और अहिंसा का विकास
—
🔷 44. ॐ हरये नमः
🔸 अर्थ:
जो पापों का हर (नाश) करते हैं — श्रीहरि को नमन।
🔸 लाभ:
– जीवन के पापों से मुक्ति
– शुद्ध अंतःकरण और आत्मिक शांति
– नवप्रेरणा और नवजीवन की अनुभूति
—
🔷 45. ॐ कूर्माय नमः
🔸 अर्थ:
जो कच्छप (कूर्म) अवतार में प्रकट होकर मंदराचल को सहारा देने वाले हैं — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– जीवन के भारी संकटों में स्थिरता
– सहनशीलता और आधार देने की शक्ति
– परिवार और समाज में संतुलन
—
🔷 46. ॐ वराहाय नमः
🔸 अर्थ:
वराह अवतारधारी, जिन्होंने पृथ्वी का उद्धार किया — उन्हें नमन।
🔸 लाभ:
– संकटों से उबरने की शक्ति
– धर्म की रक्षा और दृढ़ता
– साहस और कर्तव्यनिष्ठा
—
🔷 47. ॐ हयग्रीवाय नमः
🔸 अर्थ:
अश्वमुख वाले ज्ञानस्वरूप विष्णु को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति
– छात्रों और साधकों के लिए विशेष लाभकारी
– वेद और शास्त्रों का स्मरण
—
🔷 48. ॐ रामाय नमः
🔸 अर्थ:
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम (विष्णु अवतार) को नमन।
🔸 लाभ:
– संयम, सेवा, त्याग और धर्म का मार्ग
– पारिवारिक मर्यादा और कर्तव्य भावना
– जीवन को आदर्श रूप देने की प्रेरणा
—
🔷 49. ॐ परात्पराय नमः
🔸 अर्थ:
जो परम से भी परे हैं — उन परात्पर विष्णु को नमस्कार।
🔸 लाभ:
– गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान
– सभी माया से परे होने की प्रेरणा
– ब्रह्मस्वरूप की अनुभूति
—
🔷 50. ॐ श्रीमहाविष्णवे नमः
🔸 अर्थ:
श्रीमहाविष्णु — जो समस्त देवों के भी देव हैं — को नमन।
🔸 लाभ:
– परम कृपा, सर्वशक्तिमत्ता का अनुभव
– शरणागति और आत्मसमर्पण
– समस्त संकटों से रक्षा और कल्याण
🌿 शुभकामना:
श्रीहरि विष्णु जी की कृपा से आपके जीवन में धर्म, प्रेम, विवेक और आनंद की निरंतर वर्षा होती रहे।
हरि ॐ तत्सत 🙏
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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