Bhagwan Vaman Ki Katha – Vinamrata Ki Vijay

Bhagwan Vaman Ki Katha Vinamrata Ki Vijay

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भगवान वामन की कथा – विनम्रता की विजय

बहुत समय पहले असुरों के महान राजा बलि ने अपने पराक्रम और दान से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। वे अत्यंत शक्तिशाली और दानी माने जाते थे। बड़े-बड़े यज्ञ करते और सभी को दान देते। लेकिन धीरे-धीरे उनके मन में शक्ति और दान का अहंकार भर गया। उन्हें लगता था कि अब तीनों लोकों में उनसे बड़ा कोई नहीं।

इसी समय एक भव्य यज्ञ का आयोजन हुआ। तभी यज्ञशाला के द्वार पर एक छोटा, तेजस्वी ब्राह्मण बालक आया। उसका चेहरा सूर्य के समान दमक रहा था। हाथ में छोटा छाता और कमंडल था। यह कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु थे, जो वामन रूप में पधारे थे।

राजा बलि ने उस बालक का स्वागत किया और गर्व से बोला –
“हे ब्रह्मचारी! मैं तीनों लोकों का स्वामी हूँ। जो चाहे वर माँगो, मैं अवश्य दूँगा।”

वामन देव ने मधुर मुस्कान के साथ उत्तर दिया –
“हे राजन! मुझे अधिक कुछ नहीं चाहिए। बस मेरे छोटे पैरों से नापकर तीन पग भूमि दे दीजिए।”

राजा बलि यह सुनकर ठहाका मारकर हँस पड़ा। उसे लगा यह माँग तो बहुत छोटी है। लेकिन उसके गुरु शुक्राचार्य ने चेताया –
“राजन! यह साधारण बालक नहीं। वचन देने से पहले सोचो।”

परंतु अहंकार से भरे बलि ने गुरु की बात अनसुनी कर दी और बोला –
“मैं राजा हूँ, अपने वचन से पीछे नहीं हट सकता।”
यह कहकर उसने जल से संकल्प ले लिया।

जैसे ही वचन पूर्ण हुआ, वह छोटा ब्राह्मण अचानक विराट रूप धारण करने लगा। उसका शरीर इतना विशाल हो गया कि आकाश तक फैल गया। एक ही कदम में वामन ने पूरी पृथ्वी नाप ली। दूसरे कदम में स्वर्ग और आकाश लोक। अब तीसरे पग के लिए स्थान शेष नहीं बचा।

भगवान वामन ने बलि की ओर देखा और कहा –
“हे राजन! मैंने दो पगों में सब कुछ ले लिया। अब तीसरा पग कहाँ रखूँ?”

तभी राजा बलि का सारा अभिमान चूर हो गया। उसके हृदय में विनम्रता जागी। उसने हाथ जोड़कर सिर झुका दिया और बोला –
“प्रभु! तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दीजिए।”

भगवान वामन मुस्कुराए और बलि के सिर पर अपना चरण रख दिया। उसी क्षण बलि के भीतर का अहंकार मिट गया और उसे प्रभु का दिव्य आशीर्वाद मिला। वामन देव ने उसे पाताल लोक का अधिपति बनाकर कहा –
“हे बलि! सच्चा वैभव शक्ति या साम्राज्य में नहीं, बल्कि विनम्रता में है। जब भक्ति और नम्रता जीवन में आती है, तभी मनुष्य वास्तविक विजय प्राप्त करता है।”

इस प्रकार भगवान वामन ने दान और शक्ति में डूबे राजा बलि को सच्चे धर्म का मार्ग दिखाया और संसार को यह शिक्षा दी कि ईश्वर की कृपा से छोटा सा प्रयास भी असीम फल दे सकता है।

🌸 प्रेम से बोलिए – जय वामनदेव! जय श्रीहरि! जय श्रीकृष्ण! 🌸

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