Dev Prabodhini Ekadashi Vrat Katha

Devprabodhini Ekadashi Vrat Katha Evam Mahatva

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🌼 देवप्रबोधिनी एकादशी (हरि प्रबोधिनी) व्रत कथा एवं माहात्म्य

📅 तिथि व महत्व

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं।
यह दिन चातुर्मास की समाप्ति और भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागरण का दिन है।
– इसका पुण्य हजार अश्वमेध यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर है।
– यह व्रत मोक्षदायिनी और सर्वपाप नाशिनी मानी जाती है।

🙏 व्रत विधि

– ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि कर पवित्र वस्त्र धारण करें।
– घर या मंदिर में श्रीहरि विष्णु का पूजन करें।
– तुलसी, बिल्वपत्र, चंपा, गुलाब, कदम्ब, अशोक, कनेर, केतकी आदि पुष्प अर्पित करें।
– दीपदान करें, संकीर्तन करें और हरिनाम का जप करें।
– रात्रि को जागरण अवश्य करें, यह सहस्त्र तीर्थ स्नान और हजारों यज्ञों से भी बढ़कर फल देता है।
– द्वादशी को ब्राह्मण भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और स्वयं व्रत पारण करें।

📖 कथा का सार

ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा –

व्रत का महत्व –
– एक समय भोजन करने से एक जन्म,
– रात्रि भोजन से दो जन्म,
– और पूरे दिन उपवास से सात जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।

जैसे अग्नि रुई के ढेर को तुरंत भस्म कर देती है, वैसे ही देवप्रबोधिनी एकादशी पापों का नाश कर देती है।

पापों का क्षय –
गुरु का अपमान करने वाले, परस्त्रीगामी, अधर्मी, भ्रष्टाचारी, नास्तिक, वेदनिंदक – सबके पाप इस व्रत से नष्ट हो जाते हैं।

जागरण का महत्व –
इस दिन रात्रि जागरण करने वाले की 10,000 पीढ़ियाँ स्वर्ग को जाती हैं।
मन, वचन और कर्म से हुए सभी पाप क्षणभर में मिट जाते हैं।

तुलसी महिमा –
इस दिन तुलसी पूजन विशेष फलदायी है।
– तुलसी रोपण, सेवा और जल अर्पण से करोड़ों जन्मों तक विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
– तुलसी की प्रत्येक शाखा और जड़ उतने ही कुल का उद्धार करती है।

अन्य पुष्प पूजन का फल –
– कदम्ब पुष्प – यमराज का भय नहीं।
– गुलाब – मुक्ति की प्राप्ति।
– शमी पत्र – मृत्यु भय का नाश।
– चंपा – पुनर्जन्म से मुक्ति।
– कमल – श्वेतद्वीप लोक की प्राप्ति।

✨ व्रत का फल व लाभ

– समस्त तीर्थों, दान और यज्ञों से अधिक फलदायी।
– चंद्र-सूर्य ग्रहण स्नान से हजार गुना अधिक पुण्य।
– सातों द्वीप दान करने का फल मात्र हरिकथा श्रवण से।
– परिवार और कुल का उद्धार।
– विष्णुलोक की प्राप्ति और जन्म-मरण से मुक्ति।

🌸 निष्कर्ष

देवप्रबोधिनी एकादशी ही सच्चे अर्थों में भोग और मोक्ष दोनों की दात्री है।
इस दिन भगवान विष्णु जागरण करते हैं और भक्तों को वरदान देते हैं।
जो मनुष्य विधिपूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसका जीवन सफल, पाप रहित और परमधाम की ओर ले जाने वाला होता है।

देवप्रबोधिनी एकादशी शुभकामनाएँ

Devprabodhini Ekadashi Shubhkamnayein

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🌿
चार महीनों की योगनिद्रा के बाद
जब भगवान श्रीहरि विष्णु का जागरण होता है,
तो संपूर्ण सृष्टि में मंगल और प्रकाश का संचार होता है।
माँ लक्ष्मी और श्रीहरि का आशीर्वाद
आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए।
देवप्रबोधिनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

🪔
आज का दिन है नए आरंभ का प्रतीक,
जहाँ हर हृदय में भक्ति का दीप जलता है।
श्रीहरि विष्णु की कृपा से आपके घर-आँगन में
पवित्रता, प्रेम और आनंद का वास हो।
देवप्रबोधिनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

🌸
देवउठनी एकादशी के इस पावन पर्व पर
श्रीहरि विष्णु के जागरण के साथ
आपके जीवन की हर रुकावट मिट जाए।
हर कार्य में सफलता और हर दिशा में शुभता फैले।
देवप्रबोधिनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

🌿
जागृत हों श्रीहरि विष्णु,
और उनके साथ जागे आपके जीवन का सौभाग्य।
भक्ति, श्रद्धा और सत्य के पथ पर बढ़ें आपके कदम,
और हर दिन मंगलमय बने।
देवप्रबोधिनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

💫
इस एकादशी पर श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद
आपके जीवन में नई ऊर्जा और स्फूर्ति जगाए।
भक्ति का दीपक सदा आपके हृदय में प्रज्वलित रहे,
और जीवन का हर क्षण पावन बने।
देवप्रबोधिनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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