Din Ki Roshni Khwabo Ko Banane Me Gujar Gayi

दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने मे गुजर गई,
रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गई,
जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं,
सारी उमर उस घर को सजाने मे गुजर गई।
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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