Shri Ganesh Mantra aur Shlok – Vighnaharta ka Smaran, Safalta ka Aarambh

भगवान श्री गणेश जी के अत्यंत पूजनीय मंत्र और श्लोक, साथ में हिंदी अर्थ और लाभ — जो विघ्नों को दूर करते हैं और जीवन में शुभता लाते हैं:

Ganesh Mantra Om Gan Ganapataye Namah

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🟠 मूल गणेश मंत्र
ॐ गण गणपतये नमः।

🔸 अर्थ:
श्रीगणेश को मेरा नमस्कार, जो समस्त गणों के स्वामी हैं।

🔸 लाभ:
– कार्यों में विघ्नों का नाश
– आरंभ के लिए उत्तम मंत्र
– एकाग्रता और मन की स्थिरता

Ganesh Gayatri Mantra Om Ekdantaya Vidmahe Vakra

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🟠 गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात्॥

🔸 अर्थ:
हम एकदंत और वक्रतुण्ड गणेश जी को जानें, उनका ध्यान करें। वे दंती हमें सद्बुद्धि प्रदान करें।

🔸 लाभ:
– विद्यार्थियों और विद्या के क्षेत्र में लाभकारी
– निर्णय क्षमता में वृद्धि
– सकारात्मक सोच और स्मरणशक्ति में तीव्रता

🟠 गणपति स्तुति श्लोक (गणेश चतुर्थी पर प्रचलित)
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

🔸 अर्थ:
हे वक्रतुण्ड, विशालकाय और करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी प्रभु! कृपया मेरे सभी कार्यों को सदा के लिए निर्विघ्न करें।

🔸 लाभ:
– जीवन के हर आरंभ में सफलता की कामना
– विघ्नों से मुक्ति और कार्यसिद्धि
– आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि

🟠 गजाननं भूतराजाध्यं महाकायं सुरेश्वरम्।
एकदंतं महोदारं विघ्नेशं वन्दे जगत्पतिम्॥**

अर्थ:
मैं उन गणेश जी को नमन करता हूँ जो गजमुख हैं,
भूतों के अधिपति, विशालकाय, एकदंत,
विघ्नों के नाशक और सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं।

लाभ:
– कार्यों की पूर्णता और सफलता।
– भय, भ्रम और रुकावटों से मुक्ति।

🟠 प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुः कामार्थसिद्धये॥**

अर्थ:
हे गौरीपुत्र विनायक!
मैं आपको नमन करता हूँ, आप भक्तों के वासस्थान हैं।
जो आपको नित्य स्मरण करता है, वह दीर्घायु, धनवान और सफल होता है।

लाभ:
– दीर्घायु, समृद्धि और आयुष्य वृद्धि।
– नित्य जप से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

🟠 एकदंतं महाकायं तप्तकांचनसन्निभम्।
लम्बोदरं विशालाक्षं वन्देऽहं गणनायकम्॥**

अर्थ:
मैं एकदंत, महाकाय, सुनहरे तेजस्वी शरीर वाले,
लम्बोदर और विशाल नेत्रों वाले गणेश जी को नमन करता हूँ।

लाभ:
– आत्मिक शक्ति और स्थिरता का विकास।
– आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता में वृद्धि।

🟠 शान्ताकारं गजाननं लम्बोदरं महोदरम्।

विघ्ननाशकं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥**

अर्थ:
मैं उस शांत, गजमुख, लम्बोदर और विघ्ननाशक भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ,
जो हेरम्ब रूप में भक्तों के रक्षक हैं।

लाभ:
– मानसिक शांति और संतोष।
– घर और परिवार में सौहार्द व मंगल।

🟠 नमामि विघ्नराजं तं भालचन्द्रं गजाननम्।
विनायकं गुणाधारं सुकुमारं कृपानिधिम्॥**

अर्थ:
मैं उस विघ्नराज, गजमुख, भालचन्द्र धारी विनायक को प्रणाम करता हूँ,
जो गुणों के भंडार और कृपा के सागर हैं।

लाभ:
– मानसिक बल और सौम्यता।
– ईर्ष्या, द्वेष और भय का अंत।

📿🟠 मूषकवाहनं देवं चन्द्रकायं महोदरम्।
लम्बोदरं विशालाक्षं वन्देऽहं गणनायकम्॥**

अर्थ:
मैं उस भगवान गणेश को नमस्कार करता हूँ
जो मूषक (चूहे) पर सवार हैं, चन्द्रकाय (चंद्र समान उज्ज्वल),
लम्बोदर और विशाल नेत्रों वाले हैं।

लाभ:
– धन, समृद्धि और सुख का वास।
– कार्यों में स्थिरता और निरंतरता।

🟠 अगजानन पद्मार्कं गजाननमहर्निशम्।
अनेकदंतं भक्तानां एकदंतं उपास्महे॥**

अर्थ:
हे गजानन गणेश! आपकी माता पार्वती का मुख कमल के समान है,
और आप स्वयं सूर्य समान तेजस्वी हैं।
आप अनेक दंतों में एकदंत स्वरूप में पूज्य हैं।

लाभ:
– घर में लक्ष्मी और सुख-शांति का वास।
– भक्तिभाव और सौभाग्य की प्राप्ति।

🟠 सिद्धि बुद्धि सहितं देवं वन्देऽहं गणनायकम्।
यः स्मरेत् प्रातरुत्थाय तस्य दिनं भवेत् शुभम्॥**

अर्थ:
मैं सिद्धि और बुद्धि के संग रहने वाले गणेश जी को नमस्कार करता हूँ।
जो प्रातःकाल उनका स्मरण करता है, उसका दिन शुभ होता है।

लाभ:
– दिन की शुभ शुरुआत।
– कार्यों में सफलता और मन में संतोष।

🟠 गजाननं देवं देवं सच्चिदानंदविग्रहम्।
एकदन्तं महोदारं सर्वसिद्धिप्रदायकम्॥**

अर्थ:
गजानन भगवान सच्चिदानंद स्वरूप हैं,
एकदंत हैं और समस्त सिद्धियाँ प्रदान करने वाले हैं।

लाभ:
– ज्ञान, सिद्धि और आत्मबल की प्राप्ति।
– कार्यों में दिव्य सफलता और शांति।

Ganesh Mantra With MeaningDownload Image
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

🌼 शब्दार्थ एवं भावार्थ (अर्थ विस्तार से):

विघ्नेश्वराय — विघ्नों के ईश्वर, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं।

वरदाय — वरदान देने वाले।

सुरप्रियाय — देवताओं के भी प्रिय।

लम्बोदराय — बड़े उदर वाले, सहनशील और धैर्यवान।

सकलाय — समस्त प्राणियों के हितकारी।

जगद्धिताय — सम्पूर्ण जगत के कल्याणकारी।

नागाननाय — जिनका मुख हाथी (गज) के समान है।

श्रुतियज्ञविभूषिताय — जो वेद और यज्ञों से विभूषित हैं, अर्थात ज्ञान और धर्म के आधार।

गौरीसुताय — माता गौरी (पार्वती) के पुत्र।

गणनाथ — गणों के स्वामी।

नमो नमस्ते — आपको बारंबार प्रणाम।

🌟 भावार्थ (संपूर्ण अर्थ):

हे विघ्नेश्वर गणेश जी!
आप वर देने वाले, देवताओं के प्रिय, बड़े उदर वाले और समस्त जगत के हितकारी हैं।
आपका मुख गज के समान है, आप वेद-यज्ञ के रक्षक हैं,
आप गौरीपुत्र और गणों के नाथ हैं — आपको मेरा बारंबार नमस्कार।

🌸 लाभ (पाठ या जप के):

– यह श्लोक गणेश पूजन या आरती से पहले बोला जाता है।
– इससे मन, वाणी और कर्म तीनों पवित्र होते हैं।
– पूजा का आरंभ शुभ और विघ्नरहित होता है।
– घर, व्यापार या अध्ययन में मंगल का वास होता है।

✨ उपयोग विधि (उदाहरण):

किसी भी पूजा, यज्ञ या लेखन कार्य की शुरुआत में
गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर
इस श्लोक का 3 बार जप करें।

फिर “ॐ गं गणपतये नमः” का 11 बार जाप करें —
इससे समस्त कार्य शुभ और सिद्ध होते हैं।

🌸 समापन आशीर्वाद:
“जो श्रद्धा से इन श्लोकों का नित्य पाठ करता है,
गणेश जी उसके सभी मार्गों से विघ्न हटाकर
बुद्धि, सौभाग्य और सुख का वरदान देते हैं।” 🪔🙏

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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