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हनुमान जी से विस्तृत प्रार्थनाएँ (भावार्थ सहित)

Download Image Hanuman Prarthana – Sahas Aur Seva Ka Divya Vardan
1️⃣
“हे पवनसुत हनुमान,
आप हमें अडिग विश्वास और असीम साहस दें।
संकट की घड़ी में आपकी स्मृति हमारे भीतर दीपक बन जले,
और हम हर स्थिति में सत्कर्म और सेवा का मार्ग चुनें।
आपकी कृपा से हमारे कदम धर्म से कभी न डिगें।”
🌿 भावार्थ:
– स्मरण और सेवा, दोनों मिलकर भय को शक्ति में बदलते हैं।
– सच्ची हनुमान-भक्ति वही है जो संकट में भी धर्म पर अडिग रखे।
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3️⃣
“हे वीर महाबली,
असत्य और अन्याय के सामने हमें निर्भीक बनाइए।
आपका नाम लेकर हम सत्य की रक्षा करें,
मधुर वाणी और दृढ़ कर्म से धर्म की प्रतिष्ठा बढ़ाएँ—
और विनम्रता को अपना कवच बनाएँ।”
🌿 भावार्थ:
– सत्य-रक्षा में वीरता और विनम्रता साथ-साथ चलती हैं।
– मधुरता से कहा गया सत्य अधिक प्रभावी होता है।
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4️⃣
“हे संकटमोचन,
आलस्य और मोह के जाल से हमें मुक्त करें।
हर सुबह नई लगन, नया उत्साह और नये सत्कर्मों का संकल्प दें;
ताकि समय आपका प्रसाद बनकर
जीवन में अनुशासन और प्रगति का प्रकाश भर दे।”
🌿 भावार्थ:
– अनुशासन ही प्रगति का मूल है; आलस्य उसका शत्रु।
– समय का सम्मान भक्ति का ही एक रूप है।
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5️⃣
“हे रामदूत,
हमारे हृदय में प्रभु-नाम की अखंड धारा बहा दें।
हर श्वास में ‘राम’ बसा रहे,
हर कर्म पूजा बन जाए,
और हर दिन सेवा का अवसर बनकर मुस्कुरा उठे।”
🌿 भावार्थ:
– नाम-स्मरण मन को पवित्र और कर्म को पूज्य बनाता है।
– सतत जप जीवन में शांति और स्थिरता लाता है।
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6️⃣
“हे पवनपुत्र,
हमें ऐसा हृदय दें जो लेने से पहले देने का विचार करे।
जहाँ पीड़ा हो वहाँ सहारा,
जहाँ अंधकार हो वहाँ दीया,
और जहाँ अकेलापन हो वहाँ आपका साहचर्य बन सकें।”
🌿 भावार्थ:
– निःस्वार्थ सेवा से ही समृद्धि का सच्चा अनुभव होता है।
– करुणा से किया गया छोटा कार्य भी बड़ा प्रभाव लाता है।
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7️⃣
“हे बजरंगबली,
विपत्ति में धैर्य और सफलता में विनम्रता दें।
कठिन दौर को साधना का समय मानूँ,
और अनुकूलता में भी आत्मविमर्श न भूलूँ—
यही आपका प्रसाद माना करूँ।”
🌿 भावार्थ:
– विपत्ति चरित्र गढ़ती है, सफलता विनम्रता माँगती है।
– आत्मविमर्श हर अवस्था में मार्गदर्शक है।
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8️⃣
“हे कपि-श्रेष्ठ,
ईर्ष्या, क्रोध और अहंकार का अंत कर दें।
हृदय में दया, वाणी में मधुरता,
और कर्म में सादगी भर दें—
ताकि हर मिलन में आपका तेज झलके।”
🌿 भावार्थ:
– आंतरिक शुद्धि के बिना बाहरी भक्ति अधूरी है।
– दया और सादगी व्यक्ति को ईश्वर के निकट लाती हैं।
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9️⃣
“हे मारुतिनंदन,
हमारी बुद्धि को स्पष्टता और निर्णयों को दृढ़ता दें।
दुविधा में आपके संकेत समझ सकूँ,
और एकाग्रता से साधना, सेवा और अध्ययन में स्थिर रहूँ।”
🌿 भावार्थ:
– स्पष्ट बुद्धि सही कर्म का आधार है।
– एकाग्रता से साधना और कर्म दोनों सफल होते हैं।
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🔟
“हे संकटमोचन,
तन, मन और आत्मा—तीनों की रक्षा करें।
विकारी संगति और कुसंस्कारों से दूर रखें,
सत्संग, जप और तप की राह पर चलाएँ,
और भीतर दिव्य निर्भयता जगा दें।”
🌿 भावार्थ:
– संपूर्ण सुरक्षा का अर्थ है आध्यात्मिक सुरक्षा।
– सत्संग और जप कुसंस्कारों का प्रभाव घटाते हैं।
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1️⃣1️⃣
“हे अटलवीर,
हमारे संकल्पों को दिशा, गति और दृढ़ता दें।
अधूरे कार्यों को पूर्ण करने की लगन जगाएँ,
और थकान में भी सेवा की मुस्कान बनाए रखें—
ताकि परिश्रम साधना बन जाए।”
🌿 भावार्थ:
– संकल्प+दृढ़ता = सिद्धि; यही कर्मयोग का सूत्र है।
– सेवा का आनंद थकान को प्रसाद बना देता है।
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1️⃣2️⃣
“हे हनुमंत,
सत्य बोलने का साहस और सही समय पर मौन रखने की बुद्धि दें।
वाणी को मर्यादा, विचारों को पवित्रता,
और कार्यों को ईमानदारी का आच्छादन—
ताकि चरित्र ही हमारी पहचान हो।”
🌿 भावार्थ:
– वाणी की मर्यादा और ईमानदारी स्थायी सम्मान देती है।
– मौन भी तभी व्रत है जब वह विवेक से उपजे।
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1️⃣3️⃣
“हे महाबली,
हमारी ऊर्जा को सही दिशा दें।
उत्साह को उन्माद न बनने दें,
और विनम्रता को कमजोरी नहीं—बल का शृंगार बनने दें,
ताकि संतुलन ही हमारी शक्ति बने।”
🌿 भावार्थ:
– अनियंत्रित ऊर्जा हानि भी कर सकती है; दिशा आवश्यक है।
– संतुलन के साथ चलना दीर्घकालीन सिद्धि देता है।
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1️⃣4️⃣
“हे प्रभु श्रीराम के दूत,
सेवा में समर्पण, कर्तव्य में निडरता और संबंधों में मधुरता दें।
अपमान में धैर्य, सम्मान में विनम्रता,
और हर हाल में ईश्वर-समर्पण—
यही मेरा दैनिक व्रत बन जाए।”
🌿 भावार्थ:
– संबंधों की मधुरता भी भक्ति का रूप है।
– समर्पण से जीवन सरल और अर्थपूर्ण बनता है।
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1️⃣5️⃣
“हे अनघ,
कर्मफल की उलझनों में फँसकर मैं कुंठित न होऊँ।
प्रयास को पूजा, परिणाम को प्रसाद मानना सिखाइए;
हर हार में सीख और हर जीत में कृतज्ञता—
यही आपकी कृपा का मार्ग बने।”
🌿 भावार्थ:
– परिणाम-समर्पण से मन हल्का और स्थिर रहता है।
– प्रयास-केन्द्रित जीवन तनाव को साधना में बदल देता है।
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1️⃣6️⃣
“हे मंगलमूर्ति,
चिंता को चिता न बनने दें।
मन में आशा, वाणी में स्नेह,
और दृष्टि में समाधान का प्रकाश दें—
ताकि हर चुनौती से सीख उग आए।”
🌿 भावार्थ:
– आशावाद और समाधान-भाव कर्म को आगे बढ़ाते हैं।
– चिंता का रूपांतरण ही आध्यात्मिक परिपक्वता है।
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1️⃣7️⃣
“हे परमभक्त,
भक्ति में निरंतरता और साधना में अनुशासन दें।
विक्षेप आएँ तो भी जप न रुके,
थकान आए तो भी सेवा न थमे—
और ईश्वर-स्मरण हर धड़कन में बस जाए।”
🌿 भावार्थ:
– निरंतरता ही साधना को फलवती बनाती है।
– छोटे-छोटे नियमित अभ्यास बड़े परिवर्तन लाते हैं।
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1️⃣8️⃣
“हे करुणानिधान,
हमें ऐसा संवेदनशील हृदय दें जो दूसरों का दर्द समझे।
वाणी से ढांढस, कर्म से सहारा,
और उपस्थिति से विश्वास दे सकूँ—
यही आपकी कृपा का साक्ष्य बनूँ।”
🌿 भावार्थ:
– संवेदनशीलता सेवा का पहला कदम है।
– विश्वास देना भी एक दिव्य सेवा है।
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1️⃣9️⃣
“हे पराक्रमी,
असंभव प्रतीत कार्यों में भी साहस का प्रथम कदम उठाने की प्रेरणा दें।
अवरोधों को अवसर,
और विलंब को तैयारी समझकर आगे बढ़ूँ—
और धैर्य मेरा पथ-प्रकाश बने।”
🌿 भावार्थ:
– पहला साहसी कदम आधी दूरी तय कर देता है।
– धैर्य से अवरोध अवसर बनते हैं।
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2️⃣0️⃣
“हे हनुमान जी,
मेरे भीतर आपकी निष्ठा, सेवा और समर्पण का संचार करें।
रामकाज को ही जीवनकाज मानने का दृष्टिकोण दें,
और अन्तर्मन में ऐसी निर्भयता भरें कि
भय, भ्रम और बाधाएँ आपके नाम से पिघल जाएँ।”
🌿 भावार्थ:
– जीवन को ‘रामकाज’ मानने से दिशा और अर्थ स्पष्ट होते हैं।
– निर्भय समर्पण से बाधाएँ शक्ति में रूपांतरित हो जाती हैं।
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2️⃣1️⃣
“हे अंजनीनंदन,
मन के भीतर से भय, संशय और दुर्बलता को दूर करें।
जब राह धुंधली हो, तो आप दिशा बनें;
जब मन टूटे, तो आप संबल बनें;
और जब कर्तव्य पुकारे, तो आप हमारी गति बनें।”
🌿 भावार्थ:
– भय और संशय दूर हों तो निर्णय स्पष्ट होते हैं।
– ईश्वर-स्मरण हर मोड़ पर सही दिशा देता है।
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🌺 समापन
जय श्री राम • जय बजरंगबली
आपकी कृपा से मन, वाणी और कर्म—तीनों सेवा और सत्य में रमे रहें।