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🔷 श्लोक १ — श्रीकृष्ण शरण श्लोक
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥
🔸 अर्थ:
जो वासुदेव के पुत्र हैं, परमात्मा हैं, सबके हरने वाले हैं – उन श्री गोविंद को मैं बार-बार नमस्कार करता हूँ। वे शरणागत का दुःख हर लेते हैं।
🔸 लाभ:
– दुख और संकटों से मुक्ति
– मन में भक्ति और सुरक्षा का भाव
– जीवन में आत्मिक शांति और विश्वास
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🔷 श्लोक २ — भगवत स्मरण श्लोक
वासुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥
🔸 अर्थ:
मैं उस श्रीकृष्ण को नमन करता हूँ जो वासुदेव के पुत्र, कंस और चाणूर के संहारक, देवकी के आनंद और जगत के गुरु हैं।
🔸 लाभ:
– नकारात्मक शक्तियों पर विजय
– सद्गुरु भाव का जागरण
– भक्तिभावना और दिव्यता की अनुभूति
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🔷 श्लोक ३ — श्रीकृष्ण जन्म श्लोक
जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः।
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन॥
(भगवद्गीता 4.9)
🔸 अर्थ:
जो मेरे जन्म और कर्म की दिव्यता को जानता है, वह मृत्यु के पश्चात पुनर्जन्म नहीं लेता, बल्कि मुझे ही प्राप्त होता है।
🔸 लाभ:
– मोक्ष की ओर मार्ग
– जीवन और आत्मा के गूढ़ ज्ञान की प्राप्ति
– परमात्मा से एकात्मता का अनुभव
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🔷 श्लोक ४ — रासलीला भाव श्लोक
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण:॥
(भगवद्गीता 9.34)
🔸 अर्थ:
मुझमें मन लगाओ, मेरे भक्त बनो, मेरी पूजा करो, मुझे प्रणाम करो — ऐसा करने वाला मेरे ही पास आता है।
🔸 लाभ:
– पूर्ण समर्पण की अनुभूति
– ईश्वर से सीधा आत्मिक संबंध
– अहंकार का क्षय और आत्मिक संतुलन
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🔷 श्लोक ५ — श्रीकृष्ण लीला श्लोक
गोपालं कुलतिलकं यदुकुलनन्दनं।
व्रजनायकं विश्वनाथं वन्दे श्रीकृष्णनन्दनम्॥
🔸 अर्थ:
जो गोपाल हैं, यदुवंश के गौरव हैं, वृंदावन के नायक और संपूर्ण जगत के स्वामी हैं — उन श्रीकृष्ण को मैं प्रणाम करता हूँ।
🔸 लाभ:
– हृदय में आनंद और माधुर्य का संचार
– लीलाओं का स्मरण कर प्रेमभाव में वृद्धि
– नयनों में भक्ति और मन में भगवदरस
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