Maa Chandraghanta Stuti Bhavarth aur Laabh Sahit

Maa Chandraghanta Stuti

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🌸 माँ चंद्रघंटा स्तुति 🌸

श्लोक:
या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

🪔 भावार्थ:
– हे देवी! आप सभी प्राणियों में चंद्रघंटा रूप से विद्यमान हैं।
– आपको बार-बार प्रणाम है, आपको बार-बार नमन है।

यह स्तुति माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप – माँ चंद्रघंटा का वंदन है।
वे अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करती हैं और उनकी घंटी जैसी दिव्य ध्वनि
दुष्ट शक्तियों का नाश करती है तथा भक्तों को निर्भयता प्रदान करती है।

🌿 विशेषता:
– माँ चंद्रघंटा नवदुर्गा का तीसरा रूप हैं।
– उनका रूप शांत और सौम्य होते हुए भी,
युद्ध के समय अत्यंत उग्र और पराक्रमी है।
– उनके गले की घंटा (घंटिका) की ध्वनि
सभी असुरों और नकारात्मक शक्तियों का अंत करती है।

✨ लाभ:
– इस स्तुति के जप से भय और संशय दूर होते हैं।
– साधक के भीतर साहस, आत्मविश्वास और निर्णय शक्ति बढ़ती है।
– नकारात्मकता और शत्रु शक्तियों से रक्षा होती है।
– मन में शांति और आत्मिक संतुलन आता है।

🌼 उदाहरण:
जैसे कोई व्यक्ति जीवन की कठिन परिस्थिति में बार-बार भयभीत हो रहा हो,
तो माँ चंद्रघंटा का स्मरण उसे निर्भीक बना देता है।
उनकी दिव्य ध्वनि से उसके भीतर साहस और आत्मबल जाग्रत हो जाता है।

🕯️
माँ चंद्रघंटा का स्मरण,
भक्त के जीवन से भय दूर कर,
साहस और विजय का दीप प्रज्वलित करता है।

🌸 जय माँ चंद्रघंटा! 🌸

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