Maa Katyayani – Navratri ki Chhathi Devi

Jai Maa Katyayani

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🙏 माँ कात्यायनी – नवरात्रि की छठी देवी 🙏

नवरात्रि के छठे दिन पूजित माँ दुर्गा का छठा स्वरूप है माँ कात्यायनी।
वे महर्षि कात्यायन के तप से प्रकट हुई थीं, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा।

✨ स्वरूप और विशेषता

माँ कात्यायनी का रूप अति तेजस्वी और दिव्य है।

वे सिंह पर आरूढ़ रहती हैं, जो पराक्रम और साहस का प्रतीक है।

उनके चार हाथ हैं —

ऊपर का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में

ऊपर का बायाँ हाथ वर मुद्रा में

नीचे का दाहिना हाथ कमल पुष्प धारण किए

नीचे का बायाँ हाथ तलवार धारण किए

माँ कात्यायनी को ही महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्त किया।

📿 माँ कात्यायनी मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः ॥

🌼 भावार्थ
हे महर्षि कात्यायन की पुत्री, हे असुर संहारिणी माँ, आपको नमन है।
आप ही धर्म और न्याय की रक्षा करने वाली तथा भक्तों को वर देने वाली हैं।

🌟 आराधना का महत्व और लाभ

अविवाहित कन्याएँ माँ कात्यायनी की उपासना करती हैं तो उन्हें सुखद दांपत्य जीवन का वरदान मिलता है।

जीवन से रोग, भय और शत्रु बाधाएँ दूर होती हैं।

साहस, आत्मबल और विजय की प्राप्ति होती है।

भक्त के भीतर धैर्य और धर्म पालन की शक्ति जाग्रत होती है।

💖 भक्ति शायरी
सिंह पर आरूढ़ माँ का वैभव निराला,
महिषासुर मर्दिनी जग का रखवाला।
साहस, बल और विजय की दात्री,
माँ कात्यायनी भवसागर की पार उतारती।

🙏 प्रार्थना
हे माँ कात्यायनी,
आपका स्मरण कर मैं निवेदन करता हूँ —
मेरे हृदय से भय को दूर कर,
मुझे धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की शक्ति दें।
आपकी कृपा से मेरे जीवन में शांति और विजय बनी रहे।

🪔
माँ कात्यायनी की पूजा से भक्त के जीवन में
वीरता, आत्मबल और दिव्य आभा का संचार होता है।

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