Maa Katyayani Stuti – Bhavarth aur Laabh Sahit

Maa Katyayani Stuti Bhavarth Aur Laabh Sahit

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🌸 नवरात्रि दिवस ६ – माँ कात्यायनी स्तुति 🌸

या देवी सर्वभूतेषु कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

✨ भावार्थ:
हे माँ! आप सम्पूर्ण प्राणियों में कात्यायनी रूप से विराजमान हैं।
आप शक्ति, पराक्रम और विजय की अधिष्ठात्री देवी हैं।
आपको बार-बार नमस्कार है, बार-बार प्रणाम है।

यह श्लोक हमें यह स्मरण कराता है कि
माँ कात्यायनी केवल आकाश या मंदिर में ही नहीं,
बल्कि हर जीव, हर हृदय और हर शक्ति में विद्यमान हैं।
उनकी उपस्थिति से ही हमें साहस और विजय का संचार मिलता है।

🌟 लाभ:
– शत्रु और बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है।
– जीवन में आत्मविश्वास और निर्भयता का भाव जागता है।
– विवाह और गृहस्थ जीवन से जुड़ी समस्याएँ दूर होती हैं।
– साधक को भक्ति और शक्ति का संतुलन प्राप्त होता है।

📌 उदाहरण:
यदि किसी युवती को विवाह में विलंब या बाधाएँ आ रही हों,
तो नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा कर इस स्तुति का जप करें।
माँ की कृपा से बाधाएँ दूर होती हैं और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

🙏 प्रार्थना:
हे माँ कात्यायनी,
हमें अपने भीतर की शक्ति पहचानने का सामर्थ्य दें।
हमारे हर भय को दूर कर निर्भयता प्रदान करें।
आपकी कृपा से हम धर्म और सत्य की राह पर दृढ़ बने रहें।

🌸 जय माँ कात्यायनी! 🌸

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