Maa Kushmanda – Stuti Bhavarth aur Laabh Sahit

Maa Kushmanda Stuti Bhavarth Aur Laabh

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🌸 माँ कुष्मांडा स्तुति – विस्तार सहित
॥ या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

🌼 शाब्दिक अर्थ:

“हे देवी! जो समस्त प्राणियों में कुष्मांडा (सृष्टि की आदिशक्ति) रूप में स्थित हैं,
आपको बार-बार नमन है, बार-बार नमन है, बार-बार नमन है।”

🪔 भावार्थ:

इस स्तुति में देवी के कुष्मांडा स्वरूप की वंदना की गई है,
जो संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना करने वाली आदि शक्ति हैं।

“कु” = थोड़ी,
“उष्मा” = ऊर्जा/ताप,
“अण्ड” = ब्रह्माण्ड

इस रूप में देवी ने अपनी एक मुस्कान से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की।
जहाँ अंधकार था, वहाँ प्रकाश लाकर सृजन किया —
इसलिए माँ कुष्मांडा को सृष्टि की प्रथम ज्योति माना जाता है।

🌿 आध्यात्मिक महत्व:

– जब मनुष्य खुद को अंधकार, असमर्थता या निराशा में महसूस करता है,
तब माँ कुष्मांडा की उपासना आंतरिक तेज, साहस और आशा का संचार करती है।

– यह स्तुति मन को बताती है:
“तेरे भीतर भी वही देवी की ज्योति है —
जो चाहे तो अपने जीवन को पुनः प्रकाशमय कर सकती है।”

🌟 उदाहरण – जीवन से जुड़ाव:

अगर कोई व्यक्ति बार-बार प्रयास कर रहा हो
पर सफलता न मिल रही हो,
तो माँ कुष्मांडा की यह स्तुति उसे यह भरोसा देती है कि
“जिसने ब्रह्मांड की रचना की,
वो मेरे प्रयास को दिशा भी दे सकती हैं।”

जब हम इस स्तुति को आस्था और आत्म-समर्पण से बोलते हैं,
तो यह केवल शब्द नहीं रहते —
बल्कि शक्ति बनकर हमारे भीतर उतरते हैं।

🙏 संकल्प:

आज नवरात्रि के इस चतुर्थ दिन,
मन में एक दीप जलाएँ —
माँ कुष्मांडा की मुस्कान की तरह शांत, उज्ज्वल और रचनीय।

✨ “माँ कुष्मांडा की कृपा से
आपका हर नया आरंभ सफल और शुभमय हो।”

🌼 भक्ति की बूँदें – हर स्तुति में सृजन की शक्ति है।

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