Maa Skandamata Stuti – Bhavarth aur Laabh Sahit

Maa Skandamata Stuti

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🌸 नवरात्रि पंचम दिवस – माँ स्कंदमाता स्तुति 🌸

या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नमः॥

🌼 भावार्थ:

हे देवी, आप सभी प्राणियों में स्कंदमाता रूप से स्थित हैं।
आपको बार-बार प्रणाम है, पुनः प्रणाम है, नित्य प्रणाम है।

इस श्लोक में हम माँ को उस रूप में स्मरण करते हैं,
जब वे अपने पुत्र कुमार कार्तिकेय (स्कंद) को गोद में धारण करती हैं।
माँ का यह स्वरूप ममत्व, वात्सल्य और करुणा का प्रतीक है।

🌸 विस्तार:

माँ स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद बाल रूप में विराजते हैं।
इसलिए उनका स्वरूप हमें सिखाता है कि —
ममता भी भक्ति का रूप है,
और करुणा भी साधना का मार्ग है।

जब हम माँ की आराधना करते हैं,
तो वे केवल वैभव और शक्ति ही नहीं देतीं,
बल्कि वात्सल्य और सुरक्षा का भी अनुभव कराती हैं।

🌟 लाभ:

– परिवार में स्नेह और एकता का वास होता है।
– संतान को साहस, स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
– साधक को शांति और मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है।
– मन में करुणा और वात्सल्य का भाव प्रबल होता है।

🌼 जीवन से उदाहरण:

एक भक्त माँ स्कंदमाता की प्रतिमा के सामने
सच्चे भाव से प्रार्थना करता था:
“माँ, मेरी संतान को सुरक्षित रखें और उसे सन्मार्ग दिखाएँ।”
धीरे-धीरे उसका बच्चा जीवन की कठिनाइयों से पार होकर
साहस और बुद्धि से आगे बढ़ा।
वह भक्त कहता था —
“यह माँ स्कंदमाता की गोद का ही आशीर्वाद है।”

🌸
जय माँ स्कंदमाता!
🙏 इस पंचम दिवस पर माँ का स्मरण करने से
आपके घर-परिवार में प्रेम, साहस और करुणा का संचार हो।

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