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यह रहे हनुमान जी के पवित्र मंत्र और श्लोक, अर्थ और लाभ सहित — जो श्रद्धा, शक्ति और संकटमोचन अनुभव कराते हैं:

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🔴 मूल हनुमान मंत्र
ॐ हनुमते नमः।
🔸 अर्थ:
भगवान हनुमान को नमस्कार।
यह सरल परंतु अत्यंत प्रभावशाली बीज मंत्र है।
🔸 लाभ:
– भय, रोग और नकारात्मकता से रक्षा
– आत्मबल और साहस में वृद्धि
– हनुमान जी की कृपा से कार्यसिद्धि
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🔴 ॐ अञ्जनिसुताय नमः।
🌿 भावार्थ:
– मैं माँ अञ्जनी के पुत्र श्री हनुमान जी को श्रद्धापूर्वक नमस्कार करता हूँ।
– यह मंत्र प्रभु के मातृत्व और भक्तिपूर्ण रूप को स्मरण करता है।
🌟 लाभ:
– यह मंत्र सेवा, संयम और विनम्रता का भाव उत्पन्न करता है।
– पारिवारिक संबंधों में प्रेम और कर्तव्य की भावना को मजबूत करता है।
– भय, क्रोध और असंतुलन दूर होता है,
और जीवन में शांति, धैर्य और शक्ति आती है।
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🔴 ॐ हं हनुमते नमः
🔸 अर्थ:
यह मंत्र पवनपुत्र हनुमान जी को समर्पित है।
“हं” बीजाक्षर बल, बुद्धि और निर्भयता का प्रतीक है,
और “हनुमते नमः” का अर्थ है — हे हनुमान जी, आपको नमस्कार है!
🔸 लाभ:
– इस मंत्र के जप से मन में स्थिरता और साहस आता है।
– भय, रोग और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
– कार्यों में सफलता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
– यह मंत्र साधक के भीतर असीम ऊर्जा और सेवा-भाव जागृत करता है।
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🔴 हनुमान गायत्री मंत्र
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥
🔸 अर्थ:
हम अंजनीपुत्र हनुमान को जानें, पवनपुत्र को ध्यान करें, वह हनुमान हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।
🔸 लाभ:
– बुद्धि, विवेक और स्मरणशक्ति में तेज
– विद्यार्थियों और साधकों के लिए विशेष लाभदायक
– ऊर्जा और स्पष्ट सोच की प्राप्ति
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🔴 हनुमान चालीसा से प्रसिद्ध दोहा और चौपाई
दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥
चौपाई:
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
🔸 अर्थ:
हे श्रीगुरु! आपके चरणों की रज से अपने मनरूपी दर्पण को स्वच्छ कर मैं श्रीराम के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ।
हे हनुमान! आप ज्ञान और गुणों के सागर हैं, तीनों लोकों में प्रसिद्ध हैं।
🔸 लाभ:
– चित्त शुद्धि और साधना में स्थिरता
– श्रीराम भक्ति में प्रवेश
– विघ्नों से रक्षा और जीवन में उत्साह
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🔴 हनुमान रक्षा मंत्र
ॐ अञ्जनीसुत महाबलाय
रामदूताय नमोस्तुते।
ब्रह्मास्त्रवरदाय च
वायुपुत्राय नमो नमः॥
🔸 अर्थ:
अंजनी पुत्र, महाबली, राम के दूत, ब्रह्मास्त्र से रक्षित और वायुपुत्र को बारंबार नमस्कार।
🔸 लाभ:
– दुष्ट विचारों और बाधाओं से रक्षा
– आत्मबल, निर्भयता और साहस
– संकट के समय हनुमान जी की दिव्य रक्षा
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🔴 हनुमानाष्टक से एक श्लोक
मनोजवं मारुततुल्यवेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
🔸 अर्थ:
जो मन की गति से तेज हैं, वायु के समान वेगशील, इंद्रियों के विजेता, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, वानरसेना के नेता और श्रीराम के दूत हैं — ऐसे हनुमान जी की मैं शरण लेता हूँ।
🔸 लाभ:
– साधकों के लिए बल, बुद्धि और भक्ति का संबल
– मन, वाणी और कर्म पर नियंत्रण
– कार्यों में सफलता और श्रीरामकृपा
🔶 श्लोक:
मंगल-मूरति मारुत-नन्दन।
सकल-अमंगल-मूल-निकंदन॥
पनयतनय संतन हितकारी।
हृदय विराजत अवध बिहारी॥
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🔸 अर्थ:
हे पवनपुत्र हनुमान! आप स्वयं मंगलमूर्ति हैं।
आप समस्त अमंगलों (दुःख, दोष, भय) का नाश करने वाले हैं।
आप श्रीरामजी के प्रिय सेवक हैं, संतों के हित में सदा तत्पर रहते हैं।
आपके हृदय में सदैव अयोध्यापति श्रीराम विराजमान हैं।
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🔸 लाभ:
– यह श्लोक संकट और भय के समय अत्यंत कल्याणकारी है।
– इसका स्मरण करने से मन में धैर्य, बल और भक्ति जाग्रत होती है।
– हनुमान जी की शरण में जाकर सभी अमंगलों से रक्षा प्राप्त होती है।
– यह श्लोक श्रीराम नाम स्मरण और श्रीहनुमानजी के श्रीचरणों में समर्पण को दर्शाता है।
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