Saraswati Vandana Shlok – Vidyarambh Siddhi Prarthana

Saraswati Vandana Shlok

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🙏 सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥

🌼 भावार्थ (अर्थ विस्तार से):

सरस्वती नमस्तुभ्यं — हे माँ सरस्वती, आपको मेरा नमस्कार है।

वरदे — आप वर देने वाली हैं, कृपा और आशीर्वाद की अधिष्ठात्री हैं।

कामरूपिणि — आप भक्त की भावना और आवश्यकता के अनुसार स्वरूप धारण करती हैं।

विद्यारम्भं करिष्यामि — मैं विद्या का आरंभ करने जा रहा हूँ।

सिद्धिर्भवतु मे सदा — मेरी विद्या सिद्ध हो, और सफलता सदैव मेरे साथ बनी रहे।

👉 इस श्लोक में विद्यार्थी माँ सरस्वती से आशीर्वाद माँगता है कि उसकी शिक्षा और ज्ञान का मार्ग सरल व सफल हो।

🌟 लाभ (जप और स्मरण से):

– शिक्षा में सफलता और विद्या की सिद्धि।
– मन की एकाग्रता और स्मरण शक्ति की वृद्धि।
– परीक्षा के भय और असफलता की शंका दूर होती है।
– जीवन में विवेक और सही निर्णय लेने की क्षमता आती है।
– विद्या के साथ-साथ विनम्रता और सद्गुण का संचार होता है।

✨ विशेष प्रयोग (उदाहरण):

विद्यार्थी यदि कक्षा, परीक्षा या नया विषय पढ़ने से पहले इस श्लोक का 3 बार उच्चारण करे,
तो मन एकाग्र होता है और पढ़ाई सरल लगती है।

संगीत, कला या किसी भी प्रकार की शिक्षा आरंभ करने वाले साधक के लिए यह श्लोक सिद्धि का आधार है।

🙏 यह श्लोक विद्यारंभ संस्कार में और बच्चों को पहली बार पढ़ना सिखाते समय भी बोला जाता है।
इसलिए इसे ज्ञान प्राप्ति और सफलता का सार्वकालिक मंत्र माना गया है।

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