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🌑 शनि देव मंत्र संग्रह (विस्तार सहित)

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🔷 1. ॐ शं शनैश्चराय नमः
भावार्थ:
यह शनि देव का मूल मंत्र है।
‘शं’ अक्षर मन को स्थिर करता है,
‘शनैश्चराय’ शनि देव के धीमे, गंभीर और न्यायकारी स्वरूप का स्मरण कराता है।
इसके जाप से मनुष्य धैर्यवान और संतुलित बनता है।
लाभ:
– मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास
– कठिन परिस्थितियों में धैर्य
– जीवन में शनि दोषों का शमन
उदाहरण:
यदि व्यक्ति निर्णयों में अस्थिर रहता है,
तो शनिवार को स्नान के बाद काले तिल चढ़ाकर इस मंत्र का जाप करने से विवेक की वृद्धि होती है।

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🔷 2. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
भावार्थ:
यह पंचाक्षरी बीज मंत्र है।
‘प्रां, प्रीं, प्रौं’ से ऊर्जा का संचार होता है और
‘सः शनैश्चराय नमः’ से हम शनि देव को पूर्ण समर्पण करते हैं।
लाभ:
– नौकरी-व्यापार में उन्नति
– ग्रहदोषों से राहत
– आर्थिक स्थिरता
उदाहरण:
व्यापारी शनिवार को तैलीय पदार्थ और काली उड़द दान कर इस मंत्र का 108 बार जप करें —
तो व्यवसाय में रुकी हुई प्रगति फिर से शुरू होती है।
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🔷 3. ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
भावार्थ:
इस श्लोक में शनि देव का स्वरूप वर्णित है —
जो नीलवर्ण, सूर्यपुत्र, यमराज के अग्रज और छाया देवी से उत्पन्न हैं।
यह श्लोक शनि देव को प्रणाम करने का श्रेष्ठ साधन है।
लाभ:
– साढ़ेसाती और ढैया से राहत
– परिवारिक व व्यावसायिक समस्याओं में शांति
– सहनशक्ति और धैर्य का विकास
उदाहरण:
जिस व्यक्ति पर शनि की ढैया चल रही हो,
वह प्रतिदिन सुबह इसे स्मरण कर शनिदेव का ध्यान करे,
तो बाधाएँ धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
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🔷 4. ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि।
तन्नः मंदः प्रचोदयात्॥
भावार्थ:
यह शनि गायत्री मंत्र है।
इसका जप करने से शनि देव की दिव्य ऊर्जा हमें विवेक, अनुशासन और कर्मफल की समझ देती है।
लाभ:
– अनुशासन और जिम्मेदारी की वृद्धि
– गलत निर्णयों से रक्षा
– जीवन में स्थिरता और धैर्य
उदाहरण:
छात्र यदि इस मंत्र का नियमित जप करें,
तो पढ़ाई में एकाग्रता और ध्यान शक्ति बढ़ती है।
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🔷 5. ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः शनैश्चराय नमः
भावार्थ:
यह उग्र बीज मंत्र है।
‘ह्रां, ह्रीं, ह्रौं’ ध्वनियाँ नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं और
‘शनैश्चराय नमः’ से शनि देव का स्मरण कर भय से मुक्ति मिलती है।
लाभ:
– भय, रोग और शत्रु से रक्षा
– साहस और आत्मबल की वृद्धि
– नकारात्मक ऊर्जा का नाश
उदाहरण:
यदि व्यक्ति रात को डरावने सपनों से परेशान हो,
तो शनिवार की रात्रि में सरसों के तेल का दीपक जलाकर इस मंत्र का जप करना लाभकारी है।
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🔷 6. ॐ मन्दाय नमः
भावार्थ:
‘मन्द’ शनि देव का एक नाम है।
यह मंत्र सरल है और शीघ्र स्मरण हेतु उत्तम माना जाता है।
लाभ:
– शीघ्र शांति और कृपा
– पारिवारिक कलह का निवारण
– साधक के मन में धैर्य
उदाहरण:
घर में कलह हो तो शनिवार की शाम को परिवार संग बैठकर 11 बार इस मंत्र का जप करें।
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🔷 7. ॐ छायापुत्राय नमः
भावार्थ:
शनि देव छाया देवी के पुत्र हैं।
इस मंत्र से हम उनके मातृस्वरूप से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
लाभ:
– अंधकार और भ्रम का नाश
– संतुलन और स्पष्टता की प्राप्ति
– मन में सकारात्मकता
उदाहरण:
मानसिक तनाव में ग्रसित व्यक्ति यदि यह मंत्र जपे,
तो धीरे-धीरे भ्रम और अस्थिरता दूर होती है।
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🔷 8. ॐ रविपुत्राय नमः
भावार्थ:
शनि देव सूर्य के पुत्र हैं।
सूर्य की ऊर्जा और शनि की न्यायप्रियता का संगम इस मंत्र में है।
लाभ:
– आत्मबल और ऊर्जा की वृद्धि
– दीर्घायु की प्राप्ति
– आलस्य का नाश
उदाहरण:
बीमार व्यक्ति रविवार को सूर्य को अर्घ्य देकर
शनिवार को इस मंत्र का जप करे —
तो स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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🔷 9. ॐ यमाग्रजाय नमः
भावार्थ:
शनि देव यमराज के अग्रज हैं।
यह नाम हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
लाभ:
– न्यायप्रियता और सत्य की रक्षा
– पापों से बचाव
– आत्मा में शुद्धता
उदाहरण:
कोई व्यक्ति यदि गलत संगति में जा रहा हो,
तो इस मंत्र का जप करने से विवेक जाग्रत होता है और मार्ग सुधरता है।
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🔷 10. ॐ नीलांबराय नमः
भावार्थ:
शनि देव का स्वरूप नीले वस्त्रधारी है।
नील रंग शांति, स्थिरता और गहराई का प्रतीक है।
लाभ:
– मन की अशांति का नाश
– गुस्से और द्वेष से मुक्ति
– सकारात्मक ऊर्जा का संचार
उदाहरण:
यदि किसी को क्रोध जल्दी आता हो,
तो नीले वस्त्र पहनकर इस मंत्र का जप करें,
उसका स्वभाव धीरे-धीरे शांत होने लगता है।
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🌸 समापन आशीर्वाद:
शनिदेव की कृपा से आपके जीवन का अंधकार मिटे,
कर्म सुधरें और आपके हर कदम में धर्म, धैर्य और सफलता साथ रहे। 🌑🙏
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🔷 11. ॐ सूर्यतनयाय नमः
भावार्थ:
शनि देव सूर्यदेव के पुत्र हैं।
यह मंत्र हमें यह याद दिलाता है कि जैसे सूर्य प्रकाश देता है, वैसे ही शनि कर्मफल देकर जीवन में संतुलन और अनुशासन लाते हैं।
लाभ:
– जीवन में कर्म के प्रति जागरूकता
– आलस्य और अज्ञान का नाश
– सच्चाई और परिश्रम की प्रेरणा
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति बार-बार कार्य अधूरे छोड़ देता है,
तो शनिवार को यह मंत्र 21 बार जपने से उसमें परिश्रम और जिम्मेदारी का भाव बढ़ता है।
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🔷 12. ॐ घनपित्रे नमः
भावार्थ:
यह शनि देव का एक विशेष नाम है — ‘घनपित्रे’, अर्थात घन-गंभीर और विचारशील।
इसका जप साधक के मन को गहराई और स्थिरता प्रदान करता है।
लाभ:
– मानसिक विचलन दूर होता है
– निर्णय लेने की क्षमता प्रबल होती है
– आत्मविश्वास और साहस का संचार
उदाहरण:
यदि विद्यार्थी परीक्षा के समय अत्यधिक घबराता है,
तो प्रतिदिन रात को यह मंत्र 11 बार जपने से उसका मन शांत और एकाग्र रहता है।
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🔷 13. ॐ न्यायाधिपतये नमः
भावार्थ:
शनि देव न्याय के अधिपति माने जाते हैं।
यह मंत्र व्यक्ति को धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की शक्ति देता है।
लाभ:
– पाप कर्मों से मुक्ति
– न्यायप्रियता और निष्पक्षता की वृद्धि
– जीवन में संतुलन और विवेक
उदाहरण:
यदि परिवार में किसी विवाद को लेकर निर्णय लेना कठिन हो,
तो यह मंत्र जपने से सही और न्यायपूर्ण मार्ग स्पष्ट होता है।
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🔷 14. ॐ स्थिराय नमः
भावार्थ:
‘स्थिर’ का अर्थ है — धैर्यवान और अचल।
शनि देव का यह नाम साधक को जीवन के उतार-चढ़ाव में स्थिर रहने का संदेश देता है।
लाभ:
– मानसिक अस्थिरता का नाश
– धैर्य और संयम की प्राप्ति
– कठिन परिस्थितियों में संतुलन
उदाहरण:
जो व्यक्ति बार-बार गुस्से या डर में निर्णय ले लेता है,
वह इस मंत्र का जप करने से शांत और संयमी बनता है।
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🔷 15. ॐ क्रूराय नमः
भावार्थ:
यह मंत्र शनि देव के ‘क्रूर’ स्वरूप का स्मरण है।
यह हमें याद दिलाता है कि बुरे कर्म का दंड अवश्य मिलता है और हमें सदाचार की ओर अग्रसर होना चाहिए।
लाभ:
– बुरे कर्मों से बचाव
– गलत संगति और व्यसनों से मुक्ति
– आत्मा की शुद्धि
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति बार-बार बुरी संगति या गलत आदतों में फँसता है,
तो यह मंत्र जपने से उसमें आत्मसंयम और सही राह पर लौटने की शक्ति आती है।
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🌸 समापन आशीर्वाद:
शनिदेव के इन मंत्रों का स्मरण करिए,
तो जीवन में अनुशासन, धैर्य और न्याय का दीपक सदा प्रज्वलित रहेगा। 🌑🙏
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🔷 16. ॐ चायासुताय नमः
भावार्थ:
यह शनि देव का विशेष नाम है — छाया का पुत्र।
यह मंत्र हमें यह याद दिलाता है कि शनि देव छाया देवी और सूर्य देव के पुत्र हैं, और उनका स्वरूप गंभीर, स्थिर और न्यायकारी है।
लाभ:
– जीवन की नकारात्मक छायाओं से रक्षा
– परिवार में सामंजस्य और शांति
– साधक के मन में स्थिरता और दृढ़ता
उदाहरण:
यदि किसी व्यक्ति को बार-बार डर या असुरक्षा सताती हो,
तो शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे इस मंत्र का जप करने से आत्मबल बढ़ता है।
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🔷 17. ॐ मंदचेष्टाय नमः
भावार्थ:
शनि देव की गति अत्यंत मंद है,
इसलिए उन्हें ‘मंदगामी’ कहा गया है।
यह मंत्र हमें धैर्य और समय के महत्व को समझने की प्रेरणा देता है।
लाभ:
– अधीरता और जल्दबाजी से मुक्ति
– लंबे समय के प्रयासों में सफलता
– योजनाओं में स्थिरता
उदाहरण:
यदि कोई कार्य बार-बार अधीरता के कारण बिगड़ जाता हो,
तो शनिवार को इस मंत्र का 108 बार जप करने से धैर्य की शक्ति आती है।
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🔷 18. ॐ कालात्मने नमः
भावार्थ:
शनि देव ‘काल’ के अधिपति माने जाते हैं।
यह मंत्र समय की शक्ति और नियति के नियम का स्मरण कराता है।
लाभ:
– समय का सदुपयोग
– आलस्य और टालमटोल से मुक्ति
– कर्मफल को स्वीकार करने की क्षमता
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति समय बर्बाद करता रहता है,
तो यह मंत्र जपने से उसमें समय के प्रति जागरूकता आती है।
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🔷 19. ॐ सुर्यबंधवाय नमः
भावार्थ:
शनि देव सूर्य के पुत्र होने के साथ-साथ
उनसे एक विशेष बंधन रखते हैं।
यह मंत्र पिता-पुत्र संबंध और अनुशासन के महत्व को दर्शाता है।
लाभ:
– पारिवारिक संबंधों में सुधार
– पिता और गुरुजनों का आशीर्वाद
– अनुशासन और आदर का भाव
उदाहरण:
यदि किसी का अपने पिता या गुरु से मनमुटाव हो,
तो यह मंत्र जपने से रिश्तों में सुधार आता है।
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🔷 20. ॐ असितांगाय नमः
भावार्थ:
‘असितांग’ का अर्थ है — गहरे श्यामवर्ण अंगों वाले।
यह नाम शनि देव के स्वरूप का स्मरण कराता है,
जो गहरे रंग के और गम्भीर भाव वाले हैं।
लाभ:
– मन में स्थिरता और शांति
– दिखावे और अहंकार से मुक्ति
– आध्यात्मिक साधना में प्रगति
उदाहरण:
यदि कोई साधक ध्यान में अस्थिर रहता हो,
तो इस मंत्र का जप करने से मन गहराई में स्थिर होता है।
—
🌸 समापन आशीर्वाद:
शनिदेव के ये नाम और मंत्र हमें धैर्य, समय का मूल्य और न्याय के मार्ग पर चलना सिखाते हैं। 🌑🙏
Tag: Smita Haldankar