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🌑 शनि स्तोत्रम् (ऋषि कश्यप कृत)

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🔷 1.
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ॥
भावार्थ:
जो नील वर्ण के हैं, सूर्यपुत्र और यमराज के अग्रज हैं,
छाया देवी और सूर्य से उत्पन्न हैं, उन शनैश्चर को मैं प्रणाम करता हूँ।
लाभ:
– शनि दोष और साढ़ेसाती का शमन
– धैर्य और सहनशक्ति की वृद्धि
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🔷 2.
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः ।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः ॥
भावार्थ:
शनि देव सूर्यपुत्र, दीर्घकाय, विशाल नेत्रों वाले और शिवप्रिय हैं।
उनकी चाल भले मंद है, पर उनका स्वभाव प्रसन्न है। वे मेरी पीड़ाएँ दूर करें।
लाभ:
– ग्रहबाधा और मानसिक क्लेश से मुक्ति
– शिव भक्ति में प्रगाढ़ता
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🔷 3.
नीलाम्बरः श्यामतनुः ग्रहतारा नमोऽस्तु ते ।
नमः कृष्णाय नीलाय शान्ताय शिल्पिनां पतये नमः ॥
भावार्थ:
नीले वस्त्र धारी, श्यामकाय और ग्रहों में प्रमुख शनि देव को प्रणाम।
हे कृष्णवर्ण, हे नीलकाय, शांत और कर्मफलदाता, आपको नमन है।
लाभ:
– क्रोध और भ्रम का नाश
– कर्म के प्रति सजगता
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🔷 4.
प्रसन्नवदनं सौम्यं पद्मपत्रनिभेक्षणम् ।
नमामि शनिदेवं तं सर्वाभीष्टफलप्रदम् ॥
भावार्थ:
प्रसन्न मुख वाले, सौम्य स्वरूप और कमलपत्र समान नेत्र वाले शनि देव को मैं प्रणाम करता हूँ,
जो भक्त को इच्छित फल प्रदान करते हैं।
लाभ:
– कार्य सिद्धि
– इच्छाओं की पूर्ति
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🔷 5.
एतानि शनिना प्रोक्तानि नामानि कवचानि च ।
पठित्वा प्रातरुत्थाय शनिदोषं न माप्नुयात् ॥
भावार्थ:
जो भक्त प्रतिदिन प्रातःकाल शनि के इन नामों और स्तोत्र का पाठ करता है,
वह किसी भी शनि दोष का शिकार नहीं होता।
लाभ:
– शनि ग्रह से सुरक्षा कवच
– जीवन में स्थिरता
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🌟 समापन फलश्रुति (स्तोत्र का फल):
जो साधक इस शनि स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक शनिवार को प्रातः या सूर्यास्त के समय पाठ करता है,
उसके जीवन से शनि के कष्ट दूर होते हैं, पाप नष्ट होते हैं और धन, सुख व सफलता की प्राप्ति होती है।
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This picture was submitted by Smita Haldankar.
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