Shiv Prarthana Sangrah

शिव प्रार्थना संग्रह

Neelkanth Mahadev Prayer

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1️⃣
हे नीलकंठ महादेव,
आप ही शांति के दाता और मोक्ष के मार्गदर्शक हैं।
आपकी कृपा के बिना जीवन अधूरा है,
आपके स्मरण के बिना हृदय रिक्त है।

Bholenath Satya Dharm Marg Prarthana

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2️⃣
🌿
हे भोलेनाथ,
मेरे मन को निर्मल कर दीजिए,
मेरे विचारों को सत्य और धर्म के मार्ग पर स्थिर कर दीजिए।
अहंकार, क्रोध और भय को दूर कीजिए,
और मेरे भीतर करुणा, सेवा और श्रद्धा का दीपक जलाइए।

3️⃣
🌸
जैसे गंगा आपकी जटाओं से बहकर जग को पावन बनाती है,
वैसे ही आपकी कृपा से मेरा जीवन भी पवित्र हो जाए।
जैसे आपका त्रिशूल बुराई का नाश करता है,
वैसे ही मेरे भीतर के दोष और विकार भी समाप्त हो जाएँ।

4️⃣
✨ हे शंकर, आपकी भक्ति ही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है।
✨ आपके चरणों में समर्पण ही मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य है।
🔔 हर हर महादेव! 🔔

5️⃣
हे नटराज,
समय का सम्मान और कर्म में नियमितता दीजिए।
आलस्य दूर हो, उत्साह जागे,
और हर प्रयास पूजा बन जाए।

6️⃣
हे नीलकंठ,
कठिनाइयों का विष शिकायत नहीं, सीख में बदल दूँ।
अंतर में आशा की ज्योति रहे,
और पग-पग पर आपकी कृपा बहे।

7️⃣
हे रुद्रदेव,
तन-मन में स्वास्थ्य और ऊर्जा भर दीजिए।
नकारात्मकता से रक्षा हो,
और भीतर साहस का उदय हो।

8️⃣
हे उमापति,
घर-परिवार में प्रेम और क्षमा बनाए रखिए।
वाणी में मधुरता, मन में अपनापन,
और संबंधों में सौहार्द बना रहे।

9️⃣
हे कैलाशपति,
दुविधा में आपका संकेत पहचान सकूँ।
सही समय पर मौन, सही बात पर सत्य,
और हर कदम धर्म के अनुरूप हो।

🔟
हे गिरिजापति,
ध्यान में स्थिरता और जप में निरंतरता दीजिए।
“ॐ नमः शिवाय” भीतर बहता रहे,
और चित्त आपके चरणों में ठहर जाए।

1️⃣1️⃣
हे शंभु,
ईर्ष्या-क्रोध को करुणा में बदल दीजिए।
सेवा का भाव जागे,
और मेरा व्यवहार सबको सान्त्वना दे।

1️⃣2️⃣
हे भूतनाथ,
भीतर के अनगिनत भय हटा दीजिए।
विश्वास का संबल दीजिए,
ताकि सत्य के मार्ग से मैं न डिगूँ।

1️⃣3️⃣
हे त्रयम्बकं,
भीतर की बेचैनी को शांत कर दीजिए।
विवेक की ज्योति जला दीजिए,
और हर निर्णय धर्म के अनुरूप कर दीजिए।

1️⃣4️⃣
हे महाकाल,
समय का सदुपयोग और साहस का आशीष दीजिए।
कठिन घड़ी में धैर्य बना रहे,
और प्रयासों में स्थिरता बनी रहे।

1️⃣5️⃣
हे चंद्रशेखर,
मन पर शीतलता और वाणी पर मर्यादा रखिए।
क्रोध को करुणा में बदल दीजिए,
और विचारों में निर्मलता भर दीजिए।

1️⃣6️⃣
हे पशुपति,
सब प्राणियों के प्रति करुणा का भाव दीजिए।
हिंसा से दूर, सेवा के पथ पर चलाइए,
और हृदय में समभाव जगाइए।

1️⃣7️⃣
हे आदियोगी,
साधना में अनुशासन और जप में निरंतरता दीजिए।
श्वास-श्वास में आपका स्मरण रहे,
और चित्त आपके ध्यान में ठहर जाए।

1️⃣8️⃣
हे गंगाधर,
दोष-विकारों को गंगाजल-सा बहा दीजिए।
अहंकार को विनम्रता में बदल दीजिए,
और जीवन को पवित्र प्रवाह दीजिए।

1️⃣9️⃣
हे शूलपाणि,
आत्म-संशय, भय और आलस्य को छिन्न कर दीजिए।
सत्य के लिए निर्भीक खड़ा कर दीजिए,
और लक्ष्य तक पहुँचने की शक्ति दीजिए।

2️⃣0️⃣
हे सदाशिव,
हर सुबह कृतज्ञता और हर रात समर्पण दीजिए।
कर्म को पूजा, परिणाम को प्रसाद मानने की बुद्धि दीजिए,
और चरणों में स्थिर भक्ति दीजिए।

2️⃣1️⃣
हे विश्वनाथ,
समाज में सत्य, सेवा और समरसता का प्रकाश दीजिए।
कठोर वचनों को संवाद में बदलने की बुद्धि दें,
और हृदयों में मेल-मिलाप का भाव जगाइए।

2️⃣2️⃣
हे ओंकारेश्वर,
श्वास-श्वास में ‘ॐ’ की मधुर अनुगूँज भर दीजिए।
चंचल मन को अंतर्मौन की शांति दें,
और ध्यान में स्थिरता का प्रसाद दीजिए।

2️⃣3️⃣
हे त्रिपुरांतक,
राग, द्वेष और आलस्य के त्रिदैत्यों का नाश कीजिए।
दोषों पर विजय का साहस दें,
और नई आदतों में निरंतरता दीजिए।

2️⃣4️⃣
हे दिगंबर,
सादगी, संतोष और संयम की पवित्र देह-भूषा दीजिए।
अतिशयताओं से दूरी, आवश्यकताओं में मितव्ययिता,
ताकि जीवन हल्का, निर्मल और मुक्त बने।

2️⃣5️⃣
हे वृषभवाहन,
धैर्य, स्थिरता और दृढ़ता का बल दीजिए।
प्रलोभनों के बीच भी दिशा न बदले,
और धर्म-मार्ग पर कदम अडिग रहें।

2️⃣6️⃣
हे कैलाशनिवासी,
ऊँचे विचार और शांत अंतःकरण का शिखर दिखाइए।
एकांत में स्पष्टता, संगति में विनम्रता दें,
और यात्रा को लक्ष्य जितना ही पवित्र बनाइए।

2️⃣7️⃣
हे भैरव,
भीतर के कपट और कायरता का भय हराइए।
मर्यादा की सीमा-रेखाएँ स्पष्ट हों,
और न्याय के लिए निर्भीक खड़ा रह सकूँ।

2️⃣8️⃣
हे अर्धनारीश्वर,
करुणा और साहस का सुंदर संतुलन दीजिए।
वाणी में कोमलता, निर्णय में दृढ़ता रहे,
और संबंधों में समभाव बना रहे।

2️⃣9️⃣
हे ईशान,
ज्ञान, विवेक और दूरदृष्टि का प्रकाश दीजिए।
वर्तमान में सजग, भविष्य में सुबुद्ध बनाइए,
और अतीत को कृतज्ञता से छोड़ना सिखाइए।

3️⃣0️⃣
हे परमेश्वर,
हर दिन कृतज्ञता से आरंभ, समर्पण से पूर्ण हो।
कर्म पूजा बने, परिणाम प्रसाद बने,
और आपका स्मरण मेरा नित्य उत्सव बने।

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