Shri Hari Vachan – Vishnu Ji Ki Amritvani se Jeevan Ka Margdarshan

🔷 श्रीहरि वचन – श्रीविष्णु जी की अमृतवाणी

Vishnu Ji Ki Amritvani

Download Image Vishnu Ji Ki Amritvani

🌷”जब मन सत्य और प्रेम में स्थिर हो जाता है,
तब मैं उस आत्मा के साथ रहता हूँ।”
– यह वचन हमें बताता है कि भगवान श्रीहरि किसी विशेष स्थान में नहीं,
बल्कि उस हृदय में वास करते हैं, जो सत्य का पालन करता है और सभी से प्रेम करता है।”

Shri Hari Vachan – Jeevan Ko Banao Pooja Ka Roop

Download Image Shri Hari Vachan – Jeevan Ko Banao Pooja Ka Roop

🌷 “हर क्षण को ईश्वर का अर्पण मानो,
तब जीवन भी पूजा बन जाएगा।”
– यह वचन सिखाता है कि भक्ति केवल मंदिर की बात नहीं,
बल्कि जीवन की हर क्रिया में प्रभु का स्मरण ही सच्चा धर्म है।

Shri Hari Vachan Sacha Dharma Hai Niswaarth Seva

Download Image Shri Hari Vachan Sacha Dharma Hai Niswaarth Seva

🌷धर्म वही है जो दूसरों को भी उन्नति की ओर ले जाए।
जो केवल अपने लिए जिए, वह मेरे सच्चे मार्ग से दूर है।”
– इस वचन में श्रीहरि ने सच्चे धर्म का मार्ग बताया है —
निस्वार्थता, सेवा और जनकल्याण ही ईश्वर की सच्ची आराधना है।

🌷”जहाँ भक्त भाव से मेरा नाम लेता है,
वहाँ मैं साक्षात प्रकट होता हूँ।”
– यह वचन दर्शाता है कि श्रीविष्णु जी को मंदिर या मूर्ति में नहीं,
बल्कि श्रद्धा से भरे हुए हृदय में अनुभव किया जा सकता है।
भक्ति ही उन्हें हमारे जीवन में आमंत्रित करती है।

🌷”हर जीव में मेरा अंश है,
जो दूसरों को ठेस पहुँचाता है, वह मुझे ही दुःख देता है।”
– भगवान विष्णु हमें यह सिखाते हैं कि
प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का अंश है, इसलिए करुणा और समता का व्यवहार ही
सच्चे वैष्णव की पहचान है।

🌷”जब तुम कर्म करते हो निस्वार्थ भाव से,
तब मैं स्वयं तुम्हारे फल की व्यवस्था करता हूँ।”
– इस वचन में श्रीहरि कर्मयोग का संदेश देते हैं।
वे कहते हैं कि निष्काम सेवा ही परम पूजा है,
और उसका फल भगवान स्वयं निर्धारित करते हैं।

🌷”मन में श्रद्धा और हृदय में सेवा हो,
तो साक्षात नारायण तुम्हारे साथ हैं।”
– यह वचन प्रेरित करता है कि
केवल बाह्य पूजा से नहीं,
बल्कि श्रद्धा और सेवा से भगवान सदा निकट रहते हैं।

🌷”जो सत्य मार्ग पर चलता है,
मैं स्वयं उसके रक्षक बनता हूँ।”
– श्रीहरि इस वचन में आश्वस्त करते हैं कि
धर्म, सत्य और नीति के मार्ग पर चलने वाले
कभी अकेले नहीं होते — स्वयं भगवान उनका संबल बनते हैं।

🌷”धैर्य रखो, समय के साथ सब सुधरता है।
मैं हर परीक्षा के अंत में प्रसाद स्वरूप हूँ।”
– विष्णु जी बताते हैं कि
संकट चाहे जितना हो,
भक्त का धैर्य ही अंततः उसे प्रभु का दर्शन कराता है।

🌷”जो जगत को एक परिवार मानता है,
वही मेरा प्रिय है।”
– यह वचन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के भाव को पुष्ट करता है।
भगवान उन लोगों को प्रिय मानते हैं
जो सभी में अपना ही अंश देखते हैं।

🌷”जिस दिन तुम स्वयं को भुलाकर
सभी में मेरा रूप देखोगे,
उस दिन मैं तुम्हारे भीतर स्थायी रूप से निवास करूँगा।”
– श्रीविष्णु आत्मिक एकत्व की बात करते हैं।
स्वार्थ से ऊपर उठकर जब हम समभाव से सबको देखें,
तब वही ब्रह्मदृष्टि है।🙏 श्रीहरि के इन वचनों का स्मरण करें,
हर दिन को धर्म, भक्ति और करुणा से आलोकित करें।
🌿 ॐ नमो नारायणाय 🌿

🌷”जहाँ मन निर्मल हो और कर्म निःस्वार्थ,
वहाँ स्वयं नारायण निवास करते हैं।”
– ईश्वर को पाने के लिए हमें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं,
बल्कि अपने भीतर सत्य, प्रेम और सेवा का भाव जगाना होता है।

Leave a comment