Shubh Prabhat Sai Tere Roop Hazar

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शुभ प्रभात ૐ साँई राम
हो साँई तेरे रुप हे हजार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।
असली बाबा रूप तो बता कैसे हमे दर्शन मिलेगें।
हाँ साँई तेरे रुप हे हजार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।।

तुमको हमने देखा शंकर के रूप में,
भिक्षा लेते देखा शरदी और धूप में।
साँई तुझे लाखो प्रणाम कैसे हमे दर्शन मिलेगें।
हो साँई तेरे रुप हे हजार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।।

बनके बराती साँई शिरडी मे आये,
नीम तले साँई ने दर्शन दिखाये।
कई तुने किये चमत्कार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।
हो साँई तेरे रुप हे हजार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।

आयी दिवाली साँई दीप जलाये,
शिरडी के लोगों से तेल मंगाये,
जब पानी से दीप थे जलाये कैसे हमे दर्शन मिलेगें।
साँई तेरे रुप हे हजार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।

महिमा सुनी जब साँई तुम्हारी,
दोडे चले आये हम शिरडी तुम्हारी,
जब दर्शन की देखी कतार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।
हो साँई तेरे रुप हे हजार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।

असली साँई रूप तो बता कैसे हमे दर्शन मिलेगें।
हाँ साँई तेरे रुप हे हजार कैसे हमे दर्शन मिलेगें।।

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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