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🌼 वामन जयंती व्रत कथा एवं महत्व

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📅 तिथि व महत्व
भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को वामन जयंती मनाई जाती है।
यह भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार वामन रूप का प्रकटोत्सव है।
इस दिन व्रत, पूजा और कथा श्रवण से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🙏 व्रत विधि
– प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
– वामन स्वरूप भगवान विष्णु का पूजन करें।
– तुलसी दल, पीले पुष्प, चना, गुड़ एवं धूप-दीप अर्पित करें।
– व्रत रखकर वामन अवतार की कथा सुनें।
– ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।
📖 व्रत कथा
एक समय बलि नामक असुरराज ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया।
देवता भयभीत होकर भगवान विष्णु की शरण में पहुँचे।
तब भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण कर बलि के यज्ञ में प्रवेश किया।
वामन ने दान में केवल तीन पग भूमि माँगी।
बलि ने वचन दिया और वामन भगवान विराट रूप में प्रकट हो गए।
पहले पग से पृथ्वी, दूसरे से आकाश नापा, और तीसरे पग के लिए स्थान न होने पर बलि ने अपना शीश अर्पण कर दिया।
भगवान ने बलि को पाताल का अधिपति बनाकर अपने भक्तों में स्थान दिया।
✨ व्रत का फल व लाभ
– वामन जयंती पर व्रत रखने से जीवन के संकट दूर होते हैं।
– अहंकार का नाश होकर विनम्रता और धर्म की वृद्धि होती है।
– पितरों और देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
– इस दिन व्रत व कथा से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य का संचय होता है।
– भक्त को अखंड वैभव और मोक्ष का मार्ग मिलता है।
🌸 निष्कर्ष
वामन जयंती केवल भगवान वामन के अवतार की स्मृति ही नहीं है,
बल्कि यह सत्य, वचन और विनम्रता की महिमा का प्रतीक है।
इस दिन का व्रत करने से भक्त को धर्म में स्थिरता और दिव्य कृपा प्राप्त होती है।
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