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🌿 एकादशी व्रत कथा – एकादशी महात्म्य 🌿
✨ एकादशी का महत्व
हिन्दू धर्म में चन्द्र मास की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं।
हर माह में दो एकादशी आती हैं – शुक्ल पक्ष की और कृष्ण पक्ष की।
यह तिथि विशेष रूप से श्रीहरि विष्णु जी को समर्पित है।
धर्मग्रंथों में वर्णन है कि –
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“एकादश्यां उपवासं यो करोति श्रद्धयान्वितः।
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोके महीयते॥”
📖 अर्थात –
जो भक्त श्रद्धा से एकादशी व्रत करता है, वह पापमुक्त होकर विष्णुलोक में स्थान पाता है।
इस दिन का उपवास पाप नाशक और मोक्ष प्रदायक माना गया है।
भक्ति, ध्यान, सत्य, संयम और दान से किया गया एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ कहा गया है।
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📖 एकादशी व्रत कथा (राजा मान्धाता की कथा)
सतयुग में चक्रवर्ती सम्राट मान्धाता का शासन था। उनके राज्य में प्रजा सुखी और समृद्ध थी।
एक समय भयंकर अकाल पड़ा – वर्षा नहीं हुई, अन्न और जल की कमी से प्रजा दुःखी हो गई।
राजा ने यज्ञ, पूजा, दान और हवन किए परंतु कोई फल नहीं मिला।
तब वे महान ऋषि अंगिरा मुनि के आश्रम पहुँचे और विनम्र होकर बोले –
> “हे मुनिवर! मैंने हर उपाय कर लिया, परंतु वर्षा नहीं हो रही है। कृपा कर उपाय बताइए जिससे मेरी प्रजा को कष्टों से मुक्ति मिले।”
महर्षि अंगिरा ने उत्तर दिया –
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“राजन, इस संकट का निवारण केवल एकादशी व्रत से ही संभव है।
आप और आपकी प्रजा श्रद्धापूर्वक उपवास करें, विष्णु नाम का कीर्तन करें।
तब निश्चित ही आकाश से वर्षा होगी और दुख दूर होंगे।”
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राजा मान्धाता ने स्वयं उपवास रखा और समस्त प्रजा को भी एकादशी व्रत करने के लिए प्रेरित किया।
परिणाम स्वरूप वर्षा हुई, अकाल समाप्त हुआ और राज्य में पुनः सुख-शांति स्थापित हुई।
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🌼 भावार्थ
इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है –
– एकादशी व्रत केवल भोजन त्याग नहीं, बल्कि संयम और आत्मशुद्धि का माध्यम है।
– जब हम मन, वाणी और कर्म से विष्णु जी का स्मरण करते हैं, तो सारे संकट स्वतः मिट जाते हैं।
– इस व्रत से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में धर्म, सुख और शांति का प्रवेश होता है।
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🌸 एकादशी व्रत के लाभ
🔹 मन की शुद्धि और आत्मबल की वृद्धि
🔹 पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति
🔹 परिवार में सुख, समृद्धि और सौहार्द
🔹 मानसिक शांति और रोग निवारण
🔹 विष्णु कृपा और जीवन में मंगल कार्य सिद्धि
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🙏 उपसंहार
इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है –
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“एकादशी व्रत से बढ़कर कोई व्रत नहीं।”
यह व्रत संसारिक दुःखों से मुक्ति और परम शांति की प्राप्ति का सरल मार्ग है।
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✨ जय श्रीहरि विष्णु ✨
एकादशी तिथियों की सूची :
👉 हिन्दू पंचांग अनुसार हर मास में दो एकादशी होती हैं –
एक कृष्ण पक्ष में (अमावस्या के बाद) और एक शुक्ल पक्ष में (पूर्णिमा के बाद)।
कुल मिलाकर 24 एकादशी होती हैं।
अधिकमास (मलमास) में यह संख्या 26 भी हो जाती है।
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– अधिमास (मलमास) आने पर पद्मिनी एकादशी (शुक्ल) और परमा एकादशी (कृष्ण) अलग से होती हैं।
इस प्रकार कुल संख्या 26 हो
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