Is Tarah Na Karo… Ki…

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जैसा अन्न वैसा मन !

True Story…..संत गुरु नानक जी की…
एक दफा गुरु नानकदेव एमनाबाद में
लालू नामक बढई के घर ठहरे हुए थे….
एक दिन वहां के रईस भागू ने नानक जी को भोज़न के लिए निमंत्रण दिया….
इसी बीच लालू बढई भी भोज़न ले आया….
नानक जी रईस का भोज़न अस्वीकार कर लालू का भोज़न करने लगे…..
भागू को बड़ा क्रोध आया….वह स्वयं उनकी सेवा में पहुच इसका कारण पूछने लगा कि
स्वादिष्ट और बढ़िया भोज़न छोड़कर आपने नीच लालू का रुखा भोज़न क्यों पसंद किया ???
…..नानक जी ने कहा कि तुम भी अपना भोज़न ले आओ…
जब भोज़न आ गया तो नानक जी ने एक हाथ में लालू की सूखी रोटी
और दूसरे हाथ में भागू की बढ़िया रोटी लेकर जोर से दबाई….
लोगों कि हैरानी का कोई पार नहीं रहा…..
जब लालू क़ी रोटी से दूध क़ी बूंदे और भागू क़ी रोटी से खून क़ी बूंदे टपकी….
लोगों के पूछने पर उन्होंने बताया कि….
यह सूखी रोटी तो सच्चे खून पसीने कि कमाई है और….
यह स्वादिष्ट भोज़न गरीबो का खून चूस -चूसकर बनाया गया है…..
इसलिए सदा मेहनत और धर्म से ही धन कमाना चाहिए….
वही फलता और फूलता है….
भागू ने गुरु नानकदेव जी के चरण पकड़ लिये
और उनका शिष्य बन गया…..
दोस्तो….
हमें भी अपने जीवन में नेक एवं सच्ची कमाई ही करनी चाहिये….
बेईमानी से कमाया धन हमें थोड़े समय के लिये
सांसारिक सुख तो दे सकता है
पर सदा-२ के लिये पारमार्थिक सुख से वंचित कर देता है….
बेईमानी एवं जालसाजी से कमाये धन को हमें
सूद समेत वापिस करना पड़ता है….
हमेशा याद रखियेगा जैसी करनी वैसा फल
आज नहीं तो निश्चित कल….
ईमानदार आदमी भले ही संसार में दुखी रहे
पर वह परमात्मा के दरबार में मौज करता है….
अतः दोस्तो….
रुखी-सूखी चाहे जैसी भी रोटी मिले पर….
ईमानदारी का ही प्रयत्न करना चाहिए….

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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