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🌸 माँ दुर्गा मंत्र – सर्वमंगल मांगल्ये 🌸
मंत्र:
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥
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🪔 भावार्थ:
– हे माँ! आप सभी मंगल कार्यों की अधिष्ठात्री हैं।
– आप कल्याणमयी, शिव की अर्धांगिनी और सभी लक्ष्यों को पूर्ण करने वाली हैं।
– आप शरण देने वाली, त्रिनेत्रधारी और गौरी स्वरूपा हैं।
– हे नारायणी! आपको बार-बार मेरा प्रणाम है।
यह श्लोक माँ की उस करुणा और शक्ति का स्मरण है,
जो भक्तों के हर कार्य को सफल बनाने में समर्थ है।
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🌿 विशेषता:
– यह श्लोक देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) का है।
– माँ को “सर्वमंगल मांगल्ये” कहकर स्मरण करने से
भक्त को हर कठिनाई में आशा और आशीर्वाद मिलता है।
– यह मंत्र हर मांगलिक अवसर, पूजा और आराधना में पढ़ा जाता है।
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✨ लाभ:
– इस मंत्र का जाप करने से जीवन में शुभता और सौभाग्य बढ़ता है।
– परिवार में शांति और समृद्धि का वास होता है।
– संकट और भय दूर होते हैं, और हर कार्य सिद्ध होता है।
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🌼 उदाहरण:
जब कोई परिवार विवाह, गृहप्रवेश या नया कार्य आरंभ करता है,
तो इस श्लोक का स्मरण उस कार्य को शुभ और मंगलमय बना देता है।
जैसे दीपक जलाने से अंधकार मिट जाता है,
वैसे ही इस मंत्र से सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
🕯️
“सर्वमंगल मांगल्ये” – यह मंत्र माँ की कृपा को बुलाने वाला
सदैव कल्याणकारी आह्वान है।
🌸 जय नारायणी! जय माँ दुर्गा! 🌸
This picture was submitted by Smita Haldankar.
Tag: Smita Haldankar