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जय दुर्गा माता
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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🌿 भावार्थ (Meaning):
हे देवी! जो सम्पूर्ण प्राणियों में शक्ति के रूप में विराजमान हैं,
आपको बार-बार नमस्कार है, बार-बार प्रणाम है।
यह श्लोक हमें स्मरण कराता है कि
शक्ति केवल देवी का बाहरी रूप नहीं,
बल्कि हर जीव के भीतर विद्यमान दिव्य ऊर्जा है।
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✨ गूढ़ अर्थ:
– जब किसी में साहस है – वहाँ देवी की शक्ति है।
– जब किसी में सहनशीलता है – वहाँ देवी की शक्ति है।
– जब किसी में सृजन और रचना की क्षमता है – वहाँ भी देवी की शक्ति है।
यानी देवी सर्वत्र, प्रत्येक रूप में, प्रत्येक प्राणी के भीतर विद्यमान हैं।
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🪔 लाभ (Benefits of Chanting):
– भय और नकारात्मकता से मुक्ति
– आत्मबल और आत्मविश्वास की वृद्धि
– कठिन परिस्थितियों में धैर्य और स्थिरता
– जीवन में साहस और ऊर्जा का संचार
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📚 उदाहरण (Devotional Reflection):
जैसे एक साधारण स्त्री जब अपने परिवार की रक्षा के लिए अडिग खड़ी हो जाती है,
तो उसमें माँ दुर्गा की शक्ति का ही प्राकट्य होता है।
यह श्लोक हमें याद दिलाता है कि हर नारी में, हर जीव में देवी की शक्ति है।
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🌸 नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की उपासना करते हुए
इस श्लोक का जप करने से मन में साहस, आत्मबल और शांति का संचार होता है।
This picture was submitted by Smita Haldankar.
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