Ishwar Shayari

ईश्वर शायरी

मेरा भी खाता खोल दो “भगवान” अपने दरबार में,
आता रहूँ निरंतर लेन – देन के व्यापार में,
मेरे कर्मो के मूल पर आपके दर्शन का ब्याज लगा देना,
जो ना चुका पाऊँ उधार तो अपना सेवादार बना देना।।

दुख में भगवान को याद करने का हक उसी को है जो,
सुख में उसका शुक्रिया अदा किया हो

मेरे मालिक तू मुझे इस काबिल बनाना कि मैं हक़ की रोटी खाऊं, और एक तेरे सिवा किसी और के आगे हाथ ना फैलाऊं..!!

मेरी औकात से बढ़कर मुझे कुछ न देना मेरे भगवान,
क्योंकि जरुरत से ज्यादा रौशनी भी इंसान को अंधा बना देती है.

मेरे भगवान कहते हैं कि मत सोच तेरा सपना पूरा होगा या नहीं,
क्योंकि जिसके कर्म अच्छे होते हैं उनकी तो मैं भी मदद करता हूँ…

नाम इतना जपो कि
भगवान धड़कन में उतर जाये
साँस भी लो तो खुशबू
भगवान दरबार की आये
भगवान का नशा दिल पर ऐसा छाए
बात कोई भी हो पर नाम
भगवान का ही जिव्हा पर आये ।।

नाम इतना जपो कि
भगवान धड़कन में उतर जाये
साँस भी लो तो खुशबू
भगवान दरबार की आये
भगवान का नशा दिल पर ऐसा छाए
बात कोई भी हो पर नाम
भगवान का ही जिव्हा पर आये ।।

तैरना है तो समंदर में तैरो नदी नालों में क्या रखा है
प्यार करना है तो भगवान से करो
इन बेवफाओ में क्या रखा है !!

कृपा जिनकी मेरे ऊपर तेवर भी उन्हीं का वरदान है
शान से जीना सिखाया जिसने “भगवान” उनका नाम है!

सबसे बड़ा तेरा दरबार है, तू ही सब का पालनहार है,
सजा दे या माफी भगवान,
तू ही हमारी सरकार है.

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