Duniya mey achhi bato pr amal karna hi baki he

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एक बहुत बड़े देश का राजा था…..
उस के देश में एक गरीब सा आदमी रहता था…वो राजा को जब भी किसी बड़े आदमी से हाथ मिलाते देखता तो मन ये विचार लाता कि काश मैं भी राजा से हाथ मिला सकता….धीरे धीरे उस की ये तमना बढती गई….फिर एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ हो जाये मैं राजा से हाथ मिला कर रहूंगा…एक दिन वह आदमी किसी संत के पास गया और अपनी इच्छा बताई..तब संत जी ने कहा कि इस के लिए तुझे सब्र और मेहनत करनी पड़ेगी..क्रोध….लालच का त्याग करना पड़ेगा….समय भी लगेगा….
उसने कहा मैं इसके लिए तैयार हूँ….तब संत जी ने बताया कि राजा एक महल तैयार करवा रहा है तुम वहा जाकर बिना किसी लालच के भेदभाव के इमानदारी से काम करो….वो आदमी महल में काम करने लगा जब भी शाम को राजा का मंत्री मजदूरी देता तो वो ये कह देता कि अपना ही काम है….अपने काम की मजदूरी कैसी….और…. वह दिन रात लगा रहता….खाली नहीं बेठता था….वक्त बीतता गया महल तैयार हो गया….उसने महल के चारो और सुंदर – सुंदर फुल पेड़ लगा कर महल को इतना खुबसुरत बना दिया कि जो भी देखता देखता ही रह जाता….
एक दिन राजा महल देखने के लिए आया तो महल देखकर बहुत खुश हुआ….
तब मंत्री से बोला कि इतनी सजावट किसने की है…तब मंत्री बोला जी हजूर – ये कोई आप का ही रिश्तेदार है….
राजा हेरानी से बोला हमारा रिश्तेदार ???
मंत्री जी – हजूर आपका ही रिश्तेदार है उसने ना तो 12 साल से मजदूरी ली है…और….दुसरे मजदूरो से अधिक काम किया भी है….दिन रात लगा रहता है….
जब भी मजदूरी देने की बात होती है तब यही कहता है कि….अपना ही काम है अपने काम की मजदूरी कैसी….
राजा सोच में पड़ गया कि ऐसा कौनसा रिश्तेदार है….फिर राजा ने कहा – उसे बुलाओ….
उस गरीब को बुलाया गया….तब राजा ने उसका खड़े होकर स्वागत किया और हाथ
मिलाया….फिर राजा ने उससे उसका परिचय लिया….परिचय के बाद राजा को
हेरानी हुई कि….ये रिश्तेदार भी नहीं है और मजदूरी भी नहीं ली….और सेवाभाव से काम भी किया….राजा बहुत खुश हुआ और कहा मांगो क्या मांगते हो….
तब उसने कहा जी कुछ नहीं…जो चाहता था आपसे मिल गया….
तब उसने सारी बात बताई…..
तब राजा ने कहा कि अब तेरा मुझ से हाथ मिल गया है अब तू बेपरवाह है…सब सुख तेरे अधीन है अब तू भी बादशाह है….
जो कुछ मेरा है वह तेरा है…..
दोस्तो….
इस कहानी का मतलब ये है कि…हमे उस मालिक ईश्वर की भक्ति….जी जान से दिल लगा कर पूरी इमानदारी से सिर्फ उस को प्राप्त करने के लिए करनी चाहिए….ना की सिर्फ संसारी सुखों की प्राप्ति के लिए….
क्योंकि….
सिर्फ आदर्शो आस्था रखने से….
काम नही चलेगा….
आदर्शो पर चलना भी जरूरी है….
ये सच है….
भिक्षा पात्र भरा जा सकता है….
परंतु…ईच्छा पात्र नही….
( ईन्सान को धन – दौलत – शौहरत…चाहे जितनी भी मिले…कम ही लगती है )

This picture was submitted by Dipal maru.

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