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कितनी खूबसूरत सी
अपनों की महफ़िल सजी थी….
किन्तु सबके बीच…ख़ामोशी…..
दीवार बनकर खड़ी थी….
किसी की भी ज़ुबां….उसका….
साथ देने को तैयार न थी….
सभी ने जैसे…
मौन की चादर ओढ़ रखी थी….
सभी के होंठों पर….
अहंकार की ज़ंज़ीर बंधी थी….
शायद इस अहंकार के….
ताले की चाबी….कहीं नहीं थी….
” ए इंसान “….
” मत करना कभी भी….ग़ुरूर….
अपने आप पर…..Kyunki….
मेरे रब ने….तेरे और मेरे जैसे….
कितने….मिटटी से बना के….
मिटटी में मिला दिए….
Its True….Keep Smiling…Njoyy Life….
This picture was submitted by Dipal Maru.
Tag: Dipal Maru
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