Maa Kushmanda Ji Ki Aarti

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भगवती माँ दुर्गा जी की
चौथी शक्ति का नाम कुष्मांडा’ है !

अपनी मंद हल्की हसीं द्वारा
अंड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न
करने के कारण इन्हें कुष्मांडा देवी
के नाम से अभिहित किया गया है !
जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था ,
चारों ओर अन्धकार ही अंधकार व्याप्त था,
तब माँ कुष्मांडा ने ही अपनी हास्य से
ब्रह्माण्ड कि रचना की थी !
अतः यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति है ! 

मां कुष्मांडाकी आरती

कुष्मांडा जय जग सुखदानी
मुझ पर दया करो महारानी

पिंगला ज्वालामुखी निराली
शाकम्बरी माँ भोली भाली

लाखो नाम निराले तेरे
भगत कई मतवाले तेरे

भीमा पर्वत पर है डेरा
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा

संब की सुनती हो जगदम्बे
सुख पौचाती हो माँ अम्बे

तेरे दर्शन का मै प्यासा
पूर्ण कर दो मेरी आशा

माँ के मन मै ममता भारी
क्यों ना सुनेगी अर्ज हमारी

तेरे दर पर किया है डेरा
दूर करो माँ संकट मेरा

मेरे कारज पुरे कर दो
मेरे तुम भंडारे भर दो

तेरा दास तुझे ही ध्याये
‘चमन’ तेरे दर शीश झुकाए

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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