Maa Shailputri ji ki Aarti

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मां दुर्गा की पहली स्वरूपा
और शैलराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री के पूजा के साथ ही
दुर्गा पूजा आरम्भ हो जाता है….

शैलपुत्री माता जो यशस्विनी हैं,
जिनके मस्तक पे आधा चन्द्र
सुशोभित है, जो वृष पे आरुड़ हैं ,
इच्छित लाभ देने वाली हैं,
उनकी हम वंदना करते हैं…

मां शैलपुत्री की आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

माँ शैलपुत्री मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
वंदे वांच्छितला भाया चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीय शस्विनीम्॥

This picture was submitted by Smita Haldankar.

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